किसी भी समाज का जब चारित्रिक पतन होने लगे तो समझो कि उस देश की संस्कृति खतरे में है l कुछ जातियों को अपनी जातीय श्रेष्ठता का अभिमान होता है किन्तु पतन बड़ी तेजी से होता है और इसकी चपेट में सभी जाति व सम्प्रदाय आ जाते हैं , श्रेष्ठता केवल दिखावे की रह जाती है l मनुष्य अपनी मानसिक कमजोरियों कामना - वासना का गुलाम होता है l अपना चोला बदल ले , शराफत का कोई भी आवरण ओढ़ ले , इन कमजोरियों से मुक्ति पाना आसान नहीं है l
इसलिए समस्या यह उत्पन्न होती है कि इस चारित्रिक पतन को कैसे रोका जाये l केवल भाषण या कानून बन जाने से समस्या नहीं सुलझती l कोई भी देश अपनी संस्कृति की , अपनी जातिगत श्रेष्ठता की रक्षा करना चाहता है तो उसे उन कारणों पर प्रतिबन्ध लगाना होगा जो मन की कुत्सित भावनाओं को भड़काते हैं --- अश्लील साहित्य , अश्लील फ़िल्मों और इन्हें दिखने वाली साइट पर प्रतिबन्ध हो l भारत जैसे गर्म जलवायु के देश में शराब और हर प्रकार के नशे पर प्रतिबन्ध हो , नशे की वजह से ही व्यक्ति अमानवीय कार्य करता है l समाज जागरूक हो और इससे संबंधित कठोर कानून बने तभी कुछ सुधार संभव होगा l
इसलिए समस्या यह उत्पन्न होती है कि इस चारित्रिक पतन को कैसे रोका जाये l केवल भाषण या कानून बन जाने से समस्या नहीं सुलझती l कोई भी देश अपनी संस्कृति की , अपनी जातिगत श्रेष्ठता की रक्षा करना चाहता है तो उसे उन कारणों पर प्रतिबन्ध लगाना होगा जो मन की कुत्सित भावनाओं को भड़काते हैं --- अश्लील साहित्य , अश्लील फ़िल्मों और इन्हें दिखने वाली साइट पर प्रतिबन्ध हो l भारत जैसे गर्म जलवायु के देश में शराब और हर प्रकार के नशे पर प्रतिबन्ध हो , नशे की वजह से ही व्यक्ति अमानवीय कार्य करता है l समाज जागरूक हो और इससे संबंधित कठोर कानून बने तभी कुछ सुधार संभव होगा l