19 March 2018

WISDOM ----- कुटिल की मित्रता और अपना अति अभिमान व्यक्ति , परिवार और राज्य पर संकट का कारण होता है

     राजा  जसवंतसिंह  जोधपुर  के  राजा  थे  l  उन्हें  अपनी  वीरता  पर  आवश्यकता  से  अधिक  गर्व  था  l  इतिहास  इस  बात  का  साक्षी  है  कि  राजपूत  चरित्र , वीरता , साहस , शौर्य  और  आन - बान  में  बहुत  श्रेष्ठ  थे  l  परन्तु  एकता  की  भावना  का  उनमे  अभाव  था  l  उनके  मिथ्याभिमान  और  अविवेक  का   लाभ  मुगलों  ने  उठाया  l 
  जब  अन्यायी  औरंगजेब  ने  राजा  जसवंतसिंह  से  मित्रता  का  हाथ  बढ़ाया  तो  राजा  जसवंतसिंह  ने   इसे  स्वीकार  कर  लिया  l  उन्होंने  यह  सोचने  का  प्रयास  नहीं  किया  कि  यह  क्रूर  ,निर्दयी , अन्यायी  औरंगजेब   जब  अपने  पिता  को  कैद  कर  सकता  है ,  भाइयों  को  कत्ल  करवा  सकता  है  तो  समय  आने  पर  उन्हें  भी  दगा  दे  सकता  है  l  उनके  परिवार  पर  संकट  ला  सकता  है , उनका  राज्य  हथिया  सकता  है   l  उन्होंने  औरंगजेब   के  दरबार  में  रहना  स्वीकार  कर  लिया  l  जसवंतसिंह  की  वीरता  और  पराक्रम  से  औरंगजेब  ने  जी  भरकर  लाभ  उठाया  l  वह  शंकालु  प्रवृति  का  था  और  भीतर   ही  भीतर  वह  उनके  पराक्रम  से  भयभीत  रहता  था  l   औरंगजेब  ने  जसवंतसिंह  को  ही  नहीं ,  उसके  पुत्रों  को  भी  धोखे  से  मरवा  दिया ,  जोधपुर  का  राज्य  भी  उसने  हथिया  लिया  l  उनकी  रानी  और  नवजात  शिशु  अजीतसिंह   को  स्वामिभक्त  वीर  दुर्गादास  औरंगजेब  के  चंगुल  से  बचाने  में  सफल  रहे  , अन्यथा  उनका  वंश  ही  मिट  जाता   l 
 राजा  जसवंतसिंह  के  पास  जो  बल  विक्रम  था  , वह  सही  दिशा  में  न  होकर  गलत  दिशा  में  प्रयुक्त  हुआ  l  वह  स्वयं  उनके  लिए ,  उनकें परिवार  के  लिए  और  राज्य  के  लिए   निरुपयोगी  ही  सिद्ध  हुआ  l  उसका  लाभ  उठाकर   औरंगजेब  ने  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  किया  l  
  ' अत: सच्चाई , ईमानदारी   और  नैतिकता  को  व्यक्तिगत  क्षेत्र  में  ही   उपयोगी  और  अपने  अहं  का  कारण  ही  नहीं  बनाना  चाहिए  l  सच्चे  लोगों  को  संगठित  होना  चाहिए  l  यह  भी  देखना  चाहिए  कि  उसका  लाभ  गलत  व्यक्ति  तो  नहीं  उठा  रहें  हैं    l  नहीं  तो  ये  अच्छाइयाँ  भी  राजा  जसवंतसिंह  के  पराक्रम   की  तरह  निरर्थक  चली  जाएँगी   l