डॉ. राधाकृष्णन पीड़ित मानवता के प्रति इतने दुःखित थे कि उस भावना ने उन्हें सर्वथा निर्भीक और स्पष्टवादी बना दिया था l उनका एकमात्र उद्देश्य था -- संतप्त मानवता को शान्ति की शीतलता प्रदान करना l इस उद्देश्य के लिए उनके ह्रदय में निरंतर एक टीस - सी उठा करती थी l इस टीस का ही प्रभाव कहना चाहिए कि जब डॉ. राधाकृष्णन रूस के राजदूत के रूप में विदा हो रहे थे तब लौह ह्रदय स्टालिन की आँखें नम हो गईं l
डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन के गालों पर हाथ फेरा और उनकी पीठ को थपथपाया l स्टालिन ने कहा --- " आप पहले व्यक्ति हैं जिसने मुझे मनुष्य समझ कर व्यवहार किया l आप हम सब को छोड़कर जा रहे हैं इसका मुझे भारी दुःख है l
डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन के गालों पर हाथ फेरा और उनकी पीठ को थपथपाया l स्टालिन ने कहा --- " आप पहले व्यक्ति हैं जिसने मुझे मनुष्य समझ कर व्यवहार किया l आप हम सब को छोड़कर जा रहे हैं इसका मुझे भारी दुःख है l