7 February 2018

WISDOM ------ कर्म तभी शुभ है जब वह धर्मयुक्त है , कर्मक्षेत्र ही धर्मक्षेत्र है l

    आज  मनुष्य  का  जीवन    धर्म  के  मार्ग  से  भटक  गया  है  , वह  गलत  कामों  को  भी  धर्मसंगत  समझता  है   l  आज  मनुष्य  ने  अपने   कर्मों    से  प्रकृति  को  क्षुब्ध  कर  रखा  है   l  पर्यावरण  को  प्रदूषित  कर  रखा  है  l  जीवन  असंतुलित  हो  गया  है   और  इसका  परिणाम  है  कि  नित  नई  बीमारियाँ  पैदा  हो  रहीं  महीन ,  प्रकृति  चक्र  गड़बड़ा  गया  है   l   भगवद्गीता  का  सन्देश  है  कि  हम   अपने  कर्मक्षेत्र  को  ही  धर्मक्षेत्र  बनाये   l   समर्पित  भाव  से  कर्म  करें  l