29 January 2018

WISDOM ------ देशभक्ति

   इब्राहिम  गार्दी  मराठा  तोपखाने  के  प्रभारी  थे  l  उन  दिनों  मराठों  का  युद्ध  अहमदशाह  अब्दाली  के  साथ  छिड़ा  हुआ  था  l  एक  रात  युद्ध  भूमि  में  उनके  शिविर  में  एक  शत्रु  सैनिक  ने  प्रवेश  किया  और  उन्हें  सलाम  का  बोला ---- " अहमदशाह  अब्दाली  की  ओर  से  उनका  दूत  बनकर  आपके  लिए  पैगाम  लाया  हूँ  l  यदि  आप  युद्ध  में  इस्लाम  की  खातिर  उनका  साथ  देंगे  तो  आप  न  सिर्फ  मजहब  की  खिदमत  करेंगे   बल्कि  आपको  ऊँचे  ओहदे ,  बड़ी  जागीर  और  बेकूत  धन - दौलत  से  नवाजा  जायेगा  l "  यह  कहकर  उसने  अशरफी  से  भरा  थैला  गार्दी  के  सामने  रख  दिया  l  उसे  विश्वास  था  कि  गार्दी  उसका  यह  प्रस्ताव  स्वीकार  स्वीकार  कर  लेंगे  l  लेकिन  गारदी  ने  क्रोध  से  गजरते  हुए  कहा  ---- " यदि  तुम  दूत  न  होते  तो  मैं  यहीं  तुम्हारा  सिर  कलम  कर  देता  l अब्दाली  ने  हजारों  निर्दोष  औरतों  और  बच्चों  को  मरवा  डाला  l ऐसे  जालिम  की  खिदमत  को  तुम  मजहब  कहते  हो   l  अपनी  सलामती  चाहते  हो  तो  अशर्फियों  का  थैला  उठाकर  यहाँ  से  दूर  हो  जाओ  l " सैनिक  काँपता  हुआ  वहां   से  चला  गया  l  "
  इब्राहिम  गार्दी  सच्चे  देशभक्त  थे  ,   उनका  कहना  था  हिन्दुस्तान  मेरी  जन्म  भूमि  है  ,  इससे  मुझे  उतना  ही  प्यार  है  ,  जितना  कि  अपने  मजहब  से  l