25 January 2018

WISDOM ---- आपसी फूट रूपी नागिन के विष से बुद्धि मूर्छित हो जाती है

    राजनीति  के  चतुर  खिलाड़ी  सिकंदर  ने   भारत  में  प्रवेश  के  लिए  तलवार  की  अपेक्षा  भारतीयों  में  फैली  फूट  का  फायदा  उठाया  l
 मनुष्य  की  संकीर्ण  स्वार्थपरता  सामूहिक  जीवन  के  लिए  सदा  ही  घातक  रही  है  l  भारत  के  प्रवेश  द्वार  पर  , एकमात्र  प्रहरी  के  रूप  में  केवल  महाराज  पुरु  थे   l  स्वार्थ  के  वशीभूत  होकर  अन्य  राजाओं  ने  उनका  साथ  नहीं  दिया  l    कहते  हैं --- जब  कोई  पापी  किसी  मर्यादा  की  रेखा  उल्लंघन  कर   उदाहरण   बन  जाता  है  ,  तब  अनेकों  को   उसका  उल्लंघन  करने  में   अधिक  संकोच  नहीं  रहता   l 
        तक्षशिला   का  राजा  आम्भीक   सिकंदर  द्वारा  भेजी  गई   पचास  लाख  रूपये  की  भेंट  और  पुरस्कार  के  लालच  में  बिक  गया   और  उसने  सिकंदर  से  मित्रता  कर  ली  l   आम्भीक  की  देखा - देखी  अभिसार  नरेश  भी  सिकंदर  से  जा  मिला  ,  अनेक   अन्य   राजा  भी  सिकंदर  से  जा  मिले  l 
  अनेक  देशद्रोहियों  के  लाख  कुत्सित  प्रयत्नों  के  बावजूद   एक  अकेले  देशभक्त  महाराज  पुरु  ने  भारतीय  गौरव  की  लाज  रखी  l   भारतीय  इतिहास  में   महाराज  पुरु  का  बहुत  सम्मान  है  ,  जो  सिकंदर  के  आगे  कभी  झुके  नहीं   और  पराजित  होने  पर  भी  विजयी  को  पीछे  हटने  पर  विवश  कर  दिया   l