16 January 2018

WISDOM ---- परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करने की समझ होना ही व्यवहार कुशलता है l

    व्यवहार कुशलता  से  हम  न  केवल  समस्याओं  को  सुलझा  सकते  हैं  ,  अपितु  समस्याओं  को  जटिल  होने  से  भी  रोक  सकते  हैं  l  इस  कथन  की  सत्यता  समझाती  एक  ऐतिहासिक  कथा  मेवाड़  प्रदेश  की  है  ------  उस  समय  भारत  में  अंग्रेजी  शासन  था  l  महाराणा  फतेहसिंह   मेवाड़  के  शासक  थे  l  बरसात  का  मौसम  था  l  उस  वर्ष  मेवाड़  में  ज्यादा  वर्षा  हुई  थी  ,  जिससे  फतहसागर  झील  का  एक  हिस्सा  टूट  गया  ,  जिसके  बहाव  में   रेल  का  पुल  टूट  गया   और  पटरियां  पानी  में  बह  गईं  l  यह  मामला  अदालत  में  गया  l  अंग्रेजी  शासन  ने  फैसला  सुना  दिया   कि  झील  के  पानी  से  हुए  नुकसान  का   मुआवजा  महाराणा  दें  l  न्यायालय  के  फैसले  की  एक  प्रति  महाराणा के  पास  आई  l  उन्होंने  फैसले    की   रिपोर्ट  पढ़ी  l  रिपोर्ट  पढ़ने  के  बाद  उन्होंने  अपनी  टिपण्णी  अंग्रेजी  हुकूमत  को  भेजी  l  टिपण्णी   में  उन्होंने  लिखा ---- " न्यायालय  का  फैसला  मुझे  मंजूर   है  l  नुकसान  का  मुआवजा  देने  को  मैं  तैयार  हूँ  ,  लेकिन  एक  आपत्ति  मेरी  ओर  से  भी  है  l  वह  यह  कि   झील  पहले  से  थी  ,  पुल  बाद  में  बनाया  गया  l  रेल  लाइन  बाद  में  बिछी  l  रेल  लाइन  और  पुल  का  निर्माण  करते  समय   झील  का  ध्यान  रखना  चाहिए  था  l  उनकी  इस  टिपण्णी  पर  न्यायालय  को   अपना  फैसला   बदलने  पर मजबूर  होना  पड़ा  l  हर्जाना ,  मुआवजा  सभी  उनके  लिए   माफ  कर  दिया  गया  l
     इस  प्रसंग  से  स्पष्ट  है  कि  यदि  व्यक्ति   शांतिपूर्ण  तरीके  से ,  विवेक  और  समझदारी   से   अपने  कार्य  करे    तो  न  केवल  समस्याओं  को  सुलझाया  जा  सकता  है  ,  बल्कि  उन्हें  गंभीर  रूप  से  विकराल  होने  से  भी   रोक  सकता  है   l  इस  परिस्थिति  में  यदि  महाराणा   मुआवजा  न  देने  पर  अड़  जाते  और   लड़ने  के  लिए  तैयार  हो  जाते   तो  समस्या  का  शांतिपूर्ण  समाधान  नहीं  हो  पाता  l