काल की बड़ी महिमा है l काल बड़े - बड़ों को धराशायी कर देता है l बड़े - बड़े साम्राज्य जिनकी कहीं कोई सीमा नजर नहीं आती है , जिनका सूर्य कभी ढलता ही नहीं है , इतने बड़े और व्यापक साम्राज्य को काल क्षण भर में धूल - धूसरित कर देता है l
काल उठाता है तो एक असहाय निर्बल भी बलशाली बन जाता है l काल साथ देता है तो अत्यंत दुरभिसंधियां एवं विपरीतताएँ भी पल भर में अनुकूल हो जाती हैं l
लेकिन जब काल अपने साथ नहीं होता , तब ऐसे विपरीत समय में कोई ज्ञान , कोई तप, कोई साधन काम नहीं आता l कोई अपना भी साथ नहीं देता l सब कुछ धरा का धरा रह जाता है l काल की विपरीत दशा में हमें शांत व स्थिर बने रहना चाहिए l प्रभु द्वारा निर्धारित स्थान पर रहकर धैर्य और ईश्वर विश्वास के सहारे अनुकूल समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए l जो काल की महिमा से अवगत होते हैं वे उसे प्रणाम कर के स्वयं को उसके अनुकूल ढाल लेते हैं l
काल उठाता है तो एक असहाय निर्बल भी बलशाली बन जाता है l काल साथ देता है तो अत्यंत दुरभिसंधियां एवं विपरीतताएँ भी पल भर में अनुकूल हो जाती हैं l
लेकिन जब काल अपने साथ नहीं होता , तब ऐसे विपरीत समय में कोई ज्ञान , कोई तप, कोई साधन काम नहीं आता l कोई अपना भी साथ नहीं देता l सब कुछ धरा का धरा रह जाता है l काल की विपरीत दशा में हमें शांत व स्थिर बने रहना चाहिए l प्रभु द्वारा निर्धारित स्थान पर रहकर धैर्य और ईश्वर विश्वास के सहारे अनुकूल समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए l जो काल की महिमा से अवगत होते हैं वे उसे प्रणाम कर के स्वयं को उसके अनुकूल ढाल लेते हैं l
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