19 December 2017

WISDOM ------- ईश्वर कहाँ है ? ------ ----

  पुराणों  में  एक  कथा  आती  है ------ पहले  भगवन  सर्वत्र  सहज   सुलभ    थे  l  लोग  उनसे  मिलकर ,  अपनी  कष्ट - समस्याएं   सुनाकर  समाधान  पा  लेते  थे   l  लोग  निस्वार्थ  भाव  से  उनकी  छवि का   दर्शन  करते   और  अपने  जीवन  को  धन्य  बनाते  l   फिर  लोगों  में  स्वार्थ भाव  जगा , वासना , तृष्णा,  आवश्यकताएं  बढ़ती   गईं  l  पहले  भगवान को  भक्त   घेरे  रहते  थे  अब  स्वार्थी , लालची  और  मनोकामना  पूरी  कराने  वालों  की  भी  भीड़  बढती  गई  l
  भगवान  ने  अपने  सभासदों  से  पूछा  --- कोई  ऐसा  गुप्त  स्थान  बताएं  जहाँ  मैं   थोड़ी  देर  विश्राम  कर  लूँ   l"    कहीं  कोई  स्थान  नहीं  मिला ,  हर  जगह  मनुष्य  अपनी  कामनाएं  लेकर  पहुँच  जाता  है  l  अंत  में  नारद  जी  की  सलाह  पर    भगवान्  मनुष्य  के  ह्रदय  में  जा  छुपे  ,  जो  अत्यंत  पवित्र  और  कोलाहल रहित  है  l 
  लेकिन  अब  स्थिति  विकट   हो  गई   l  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  सूख  गई ,  ईर्ष्या - द्वेष ,  छल - कपट  से  ह्रदय  भी  मलिन  हो  गया  l   स्वार्थी   मनुष्य   ने   ईश्वर  के  रहने  का  शांत - सुन्दर, पवित्र    स्थान  भी  छीन  लिया   और  अब  उनके  लिए  चूने - मिटटी  का  घर  बनाने  के  लिए  लड़  रहे हैं ,  मरने - मारने  पर  उतारू  हैं  l   अब  भगवान    ढूंढ    रहे  हैं  --- सच्चे  इनसान  को    !