10 December 2017

WISDOM ----- चरित्रवान व्यक्ति के लिए समाज का हित प्रधान रहता है, इसको पूरा करने के लिए वे अपने अस्तित्व तक का परित्याग कर देते हैं

 सामान्य  अर्थों  में  चरित्रवान  उन्ही  को  कहा  जाता  है  जिनकी  व्यक्तिगत  जीवन  में   कर्तव्य परायणता , सत्यनिष्ठा ,      पारिवारिक  जीवन  में  सद्भाव , स्नेह   और       सामाजिक  जीवन  में  शिष्टता ,  नागरिकता   आदि  आदर्शों  के  प्रति  निष्ठा  है   l     किसी  भी  देश , समाज  अथवा  समुदाय  का  भाग्य    ऐसे  ही  चरित्रवान , व्यक्तित्ववान     विभूतियों  पर  टिका  रहता  है  l
   पेरिस  में  हुई  राज्य क्रांति  के  समय  की   घटना  है ---  तब  क्रान्तिकारी  जेलों  में  ठूंसे  जा  चुके  थे  l  विपक्षी  सैनिकों  ने  कैदखाने  में  घुसकर   इन्हें  शाक- भाजी  की  तरह  काटना  शुरू  कर  दिया  l  इन  सैनिकों  ने  एक  बंदी  को  पहचाना ,  जिसका  नाम  था -- आंवी सिफार्ड  l  यह  एक  पादरी  था  l  सैनिकों  ने  सहज  श्रद्धावश  उसे  निकल  जाने  को  कहा  l  सिफार्ड  ने  अनुरोध  किया  कि  यदि  तुम  लोग  मेरे  बदले  उस  तरुण  महिला  को  जाने  दो  ,  जो  गर्भवती  है   तो  मुझे  मर कर  भी  प्रसन्नता  होगी  l  माना कि  हम  लोगों  ने  नियम  भंग  किया  ,  पर  गर्भ  में  पल   रहा  मासूम  तो  निर्दोष  है  , उसे  उसकी  निर्दोषता  का  पुरस्कार  मिलना  चाहिए  l   पादरी  की  करुणा  व  दयाद्र्ता  ने  -- आंवी सिफार्ड  नाम  को  इतिहास  में  अमर  कर  दिया  l
 चारित्रिक  गुणों  से  व्यक्ति  प्रमाणिक  हो  जाता  है  ,  चरित्रवान  व्यक्ति  की  प्रमाणिकता  हर    किसी  के  लिए  विश्वसनीय  होती  है  l ------  अमेरिका  ने  वाशिंगटन  के  नेतृत्व   में  स्वतंत्रता  प्राप्त  की  थी  l  कुछ  समय  तक  शासन  सम्हालने  के  बाद   वह  राजनीति  से  विरत  होकर  सामान्य  जीवन  व्यतीत  करने  लगे  l   इसी  समय  अमेरिका  और  फ्रांस  में  युद्ध  छिड़ा  l  इस  विषम  बेला  में  लोगों  ने  एक  बार  फिर  वाशिंगटन  को  याद  किया  l  अपने  कार्यकाल  में  उन्होंने  कर्तव्य निष्ठा,  सूझ- बूझ  और  चारित्रिक  गुणों  की  ऐसी  धाक  जमा  ली  थी  कि  तत्कालीन  प्रेसिडेंट  मि. एडम्स  ने  उन्हें  देश  की  बागडोर  सम्हालने  को  कहा   l  एक  प्रमुझ  नेता  ने   अपने  अनुरोध  भरे   पत्र    में  लिखा ----- "  अमेरिका  की  सारी  जनता  आप  पर  विश्वास  करती  है  l  यूरोप  में  एक  भी  राज्य सिंहासन  ऐसा  नहीं  है   जो  आपके  चरित्र बल   के  सामने  टिक  सके   l  "
स्वामी  विवेकानन्द  ने  एक  स्थान  पर  कहा  है --- ' संसार  का  इतिहास  उन  मुट्ठीभर   व्यक्तियों  का  बनाया  हुआ  है  जिनके  पास  चरित्रबल  का  उत्कृष्ट  भण्डार  था  l  यों  तो  कई  योद्धा , विजेता  हुए  हैं  , बड़े - बड़े  चक्रवर्ती  सम्राट  हुए  हैं  l  इतने  पर  भी  इतिहास  ने  उन्ही  व्यक्तियों  को  अपने  ह्रदय  में  स्थान  दिया  है   जिनका  व्यक्तित्व  समाज  के  लिए  एक  प्रकाश स्तम्भ  का  कार्य   कर  सका  है   l '
    आज  स्थिति  विकट  है   l  आज  नेता  बहुत  हैं ,  इनसान  कम  हैं   l  पहले  के  नेताओं  का  एक  व्यक्तित्व   था ---- राममनोहर  लोहिया , सरदार वल्लभभाई  पटेल ,  मौलाना  आजाद ,  आचार्य   नरेन्द्रदेव  जैसे  एक  से  एक  बड़े  व्यक्तित्व  l    आचार्य    नरेन्द्रदेव  बौद्ध   दर्शन  के  प्रकांड  पंडित  थे  l  समाज  में   उनकी  प्रतिष्ठा   थी  l  वे  जहाँ   से   खड़े  होते  ,  जीत  जाते  l    लेकिन  एक  चुनाव  में   गोरखपुर  से  खड़े  हो  गए ,  लोकसभा  के  लिए  l   दूसरे  पक्ष    ने  बाबा  राघवदास  को  उनके  खिलाफ  खड़ा  कर  दिया  l  वे    महात्मा  थे ,  अकेले  अपरिग्रही  , संन्यासी  l   बाबा  में  देवत्व  की  सघनता  ज्यादा  थी ,  उनके  पास  निष्काम  कर्म  की ,  नि:स्वार्थ  सेवा  की  पूंजी  थी  l   बाबा  राघवदास  ने  तुलसीदास जी  की  इस  चौपाई  को   अंग्रेज  शासकों  के  खिलाफ  हथियार  बनाया ------
    जासु  राज  प्रिय  प्रजा  दुखारी  l  सो   नृपु   अवसि  नरक  अधिकारी  l  
बाबा    का  देवत्व  ,   पारदर्शिता ,   उनकी  साख   के  चलते  आचार्य  नरेन्द्रदेव  की  जमानत  जब्त  हो  गई l