9 December 2017

WISDOM ------ भगवान के भक्त को कोई कष्ट दे , इसे ईश्वर कभी सहन नहीं करते

  बात  उन  दिनों  की  है  जब  महात्मा  विजयकृष्ण  गोस्वामी  वृन्दावन  में  बांकेबिहारी  के  मंदिर  में  रहते  थे  l  वह  समय  था  जब  आधे  पैसे  का  भी  कुछ  मिल  जाता  था  l  उन्होंने  अपने  शिष्य  से  कहा -   ---      " जाओ , आधे  पैसे  के  पेडे  ले  आओ  l  भले  ही  आधा  पेड़ा   ले  आओ ,  पर  लेकर  आना  l " दुकानदार  बड़े - बड़े  सौदे  कर  रहा  था  ,  उसने  शिष्य  का  अधेला  उठाकर  नाली  में  फेंक  दिया  l  शिष्य  ने  धैर्य पूर्वक  सिक्का  उठाया ,  उसे  धोया   और  फिर  उसे  देते  हुए  बड़ी  विनम्रता  से  कहा --- " हमें  नहीं  खाना  है , गुरु  महाराज  ने  मंगाया   है ,  दे  दो  भाई  l "  दुकानदार  ने  फिर  फेंक  दिया  l 
शिष्य  ने   फिर  उठाया , धोया  और  कहा --- " प्रसाद  के  लिए  मंगाया  है , दे  दो  l "   ऐसा  दस  बार  हुआ  l  मालिक  ने  नौकर  से  कहा ---- " इसे  पीटकर  भगा  दो  l "   शिष्य  गोस्वामीजी  के  पास  गया  और  बोला --- "  नहीं  दिया  l बार - बार  अधेला  फेंकता   ही  रहा  l "
 गोस्वामीजी  बोले ---- " तुमने  गाली  क्यों  नही  दी  ?  उसका  स्वभाव  गाली  सुनकर  काम  करने  का  है  l  तुम्हे  मालूम  है  कि  तुम्हारे  धैर्य  के  कारण  देवत्व  वहां  इतना   बढ़ा  कि  उसकी  दुकान  में आग  लग  गई   l  तुम  भला - बुरा  कह  देते   तो  आग  नहीं  लगती   l  भगवान  अपने  शिष्यों  का  भला - बुरा  कभी  सहन  नहीं  करते   l  इसीलिए  उसे  दंड  मिला  l "  इसी  बीच  दुकानदार  दौड़ा - दौड़ा   पेडे  के  पैकेट  लिए  आया  l  बोला ---- ' महाराज  !   आपके   चेले  का  हमसे  अपमान  हो  गया  l  हमारी  पूरी  दुकान  जल   गई  l  "
 यह  है  शुभ  कर्मों  की  तीव्रता  का परिणाम   l