2 December 2017

WISDOM ---- सभी समस्याओं का एकमात्र हल -- ' सद्बुद्धि '

 ' जब - जब  मनुष्य  पर  बेअकली  सवार  होती  है   तो  वह  जाति , सम्प्रदाय , रंग , रूप ,  भाषा   और  धर्म  के  आधार  पर   विभाजित  होता  चला  जाता  है   और  अपनी  शांति  व  खुशहाली  को  नष्ट  करता  रहता  हैl
        एक  देश    का  बंटवारा  हुआ   l  विभाजन  रेखा  एक  पागलखाने  के  बीच  में  से  होकर  गुजरी  l  तो  अधिकारियों  को  बड़ी  चिंता  हुई  कि  अब   क्या    किया  जाये  l  दोनों  देश  के  अधिकारियों  में  से   कोई    भी   पागलों  को  अपने  देश   लेने  को  तैयार  न  था  l   अधिकारी   इस  बात  पर  सहमत  हुए  कि  पागलों  से  ही  पूछा  जाये   कि  वे  किस  देश  में  रहना  चाहते  हैं   l  अधिकारियों  ने  पागलों  से  कहा ---- "देश    का  बंटवारा   हो  गया  है ,  `आप  इस  देश  में  रहना   चाहते  हैं   या  उस  देश  में  जाना   चाहते  हैं  ? "  पागलों  ने  कहा ----- " हम  गरीबों  का  पागलखाना  क्यों   बांटा  जा  रहा  है  ? हम  में  आपस  में  कोई   मतभेद  नहीं  ,  हम  सब  आपस  में  मिलकर  रहते  हैं  ,  इसमें  आपको  क्या  आपत्ति  है  ? "
अधिकारियों  ने  कहा ---- " आपको  जाना  कहीं  नहीं  है  l  रहना  यहीं  है  l  आप  तो  यह  बताएं  कि  आप   इस  देश  में  रहना  चाहते  हैं  या  उस  देश  में  l  "
  पागल  बोले ----- "  यह  भी  क्या   अजीब  पागलपन  है  l  जब  हमें  जाना  कहीं  नहीं  है  तो   इस  देश  या  उस  देश  से  क्या  मतलब   l "
  अधिकारी  बड़ी  उलझन  में  पड़  गए  ,  उन्होंने  सोचा  व्यर्थ  की  माथापच्ची  से  क्या  लाभ  ?  और  उन्होंने  विभाजन  रेखा  पर   पागलखाने  के    बीचोंबीच   दीवार  खड़ी  कर  दी  l  कभी - कभी  पागल  उस  दीवार  पर  चढ़  जाते  और  एक  दूसरे  से  कहते  --- ' देखा  समझदारों  ने  देश  का  विभाजन  कर  दिया  l  न  तुम  कहीं  गए  न  हम  l  व्यर्थ  में   हमारा  - तुम्हारा    मिलना - जुलना ,  हँसना - बोलना   बंद  कर  के  इन्हें  क्या  मिल  गया  l  एक  पागल  बोला ----' इन्होने  देश  का  नहीं  दिलों  का  बंटवारा   किया  है  l