4 November 2017

गुरु नानक का व्यवहारिक अध्यात्मवाद

 गुरु  नानक  ने  लोगों  को  समझाया  कि   बाह्य  पूजा ,  कर्मकांड ,  परम्पराएँ    धर्म  नहीं  है  ,  धर्म  का  वास्तविक  तत्व  है ---- अपने  आपको  जीतना ,  इन्द्रियों  को  वश  में  रखना ,  सुख - दुःख ,  हानि - लाभ  में  एक  सा  भाव  रखना   l  धर्म  का  सबसे  बड़ा  लक्षण  है  --- सबके  साथ  सेवा , नेकी   और  सच्चाई  का  व्यवहार  करना    और  इन  सबके  साथ  भगवन  को   याद  करते  रहना   l 
  उस  समय  हिन्दुओं  में    अनगिनत  देवी - देवताओं  की  पूजा   और  छुआछूत  का  जंजाल  बढ़  गया  था  ,  उसका  खंडन  उन्होंने  वाणी  और  कर्म    रूप  में  किया  l  उन्होंने  जातिगत  भेदभाव  और  ऊँच - नीच  का  खंडन  किया   l