12 October 2017

विचार क्रान्ति से ही सम्पूर्ण क्रांति संभव ------ लोकनायक जयप्रकाश नारायण

  निष्ठावान - राष्ट्रवादी   जयप्रकाश  नारायण  अपने  छात्र  जीवन  से  एक   जुझारू  स्वाधीनता  सेनानी  थे   l  मौलाना  अबुल  कलाम  आजाद  की   इन  पंक्तियों  ने  उनके  अंतर्मन  में  क्रांति  की  ज्वाला  भड़का  दी ----  " नौजवानों  !  अंग्रेजी  शिक्षा  का  त्याग  करो   और  मैदान  में  आकर   ब्रिटिश  हुकूमत  की  ढहती  दीवारों  को  धराशायी  करो  और  ऐसे  हिंदुस्तान  का  निर्माण  करो  ,  जो  सारे  आलम  में  खुशबू  पैदा  करे  l  "
            राष्ट्रीय  स्वाधीनता  के  लिए  उन्होंने  हर  कष्ट  सहे ,  अनेकों  बार  जेल  गए  l  इस  कार्य  में  बराबर  की  भागीदारी  निभाई  उनकी  पत्नी  प्रभावती  देवी  ने  l    गांधीजी  के  लिए  प्रभावती  अपनी  लाड़ली  बेटी  की  तरह  थीं   l  उनके  विवाह  में  गांधीजी  ने  अभिभावक  की  भूमिका  निभाई  थी  l  1947   में  देश  की  आजादी  के  बाद   उन्हें  सरकार  में  गृह राज्य मंत्री  बनाये  जाने  का  प्रस्ताव  था  ,  परन्तु  उन्होंने  स्पष्ट  रूप  से  मना  कर  दिया  l 
  परम पूज्य  गुरुदेव  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  ने  कहा  था ---- " इस  महान  लोकनायक  का  साथ  देने  के  लिए   आध्यात्मिक  शक्तियां  भी   कटिबद्ध  एवं  संकल्पित  हैं   l "   जब  8  अक्टूबर  1979  को  उनका  देहावसान  हुआ   तब   गुरुदेव  ने    कहा ----- " मैं  यह  स्पष्ट  कहता  हूँ  , भारत  देश  जयप्रकाश  जी  को   त्याग - तपस्या  के  प्रतीक  और   जनहित  के  लिए  सर्वस्व  निछावर   करने  वाले   महान  योद्धा    तथा  जन भावना  को   स्वर  देने  वाले   विचार  क्रांति  के   महावीर  की  तरह   हमेशा  याद  रखेगा   l "   उनका  सम्पूर्ण  जीवन  जैसे  पुरातन  शास्त्रों   की  पवित्रता  की   सर्वाधिक  सटीक  और  सामयिक  व्याख्या  थी   l