खलील जिब्रान ख्याति प्राप्त विद्वान थे , उन्होंने कहानियों के माध्यम से जीवन - दर्शन सम्बन्धी सूत्र दिये जो समय - समय पर मानव का मार्गदर्शन करते हैं l एक साधारण से उदाहरण से नैतिक सीख दी जा सकती है , इसकी झांकी उनकी इस कथा से मिलती है ----------------- -----
' एक बार मैं सपना देख रहा था l स्वप्न में एक भयानक भूत आया और मुझे डराने लगा l मैं उससे भयभीत होकर भागने की कोशिश करने लगा l भूत ने मुझे कसकर पकड़ लिया , भूत ने कहा ---- " तुम्हारी बिरादरी के लोग हैं , जिन्होंने ईश्वर की नाक में दम कर रखी है l तुम लोग धर्म की बातें करके अपनी चमड़ी बचाते हो और उन कामों को करने में लगे रहते हो जिनकी खुदा ने मनाही की है l धर्म के प्रवक्ताओं के ऐसे कार्य से खुदा बहुत दुःखी है l तुम्ही लोगों की अक्ल ठिकाने लगाने को खुदा ने मुझे भेजा है l आज मैं तुमसे निपटूगा l '
मैंने भूत से कहा -- मुझे जाने दें , आगे से मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा l भूत हंसने लगा , उसने मेरे हाथ में एक फावड़ा थमा दिया और कहा --- फुरसत के समय तुम कब्रें खोदते रहना , दुनिया में चलते - फिरते , जिन्दा प्रेत बहुत हैं , तुम उन्ही को दफन करना , खुदा ने तुम्हारे लिए यही जिम्मेदारी सौंपी है l ' जिन्दा प्रेत ' ? भूत ने कहा ---- " जो दूसरों का दर्द नहीं समझ सकते , जिन्हें आपाधापी के अलावा और कुछ नहीं सूझता , जिनके पास दूसरों को धोखा देकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना ही एक मात्र धन्धा है , वे जिन्दा भूत नहीं तो और क्या हैं ? ऐसे व्यक्ति धरती पर बोझ हैं , समाज के लिए सिरदर्द हैं , जीवित रहते हुए भी मृतक के समान हैं l उन्हें दफन नहीं करोगे तो , इस दुनिया में जिन्दा लोगों के रहने के लिए जगह ही कहाँ बचेगी ? "
यह सपना अपने एक मित्र को सुनाया , तब से हर रात वही सपना बारम्बार आता है , रात भर जिन्दा प्रेतों के लिए न जाने कितनी कब्रें खोदता हूँ l मित्र हंसने लगा , बोला --- तुम्हारे सपने की कब्रें तो कल्पना - लोक हैं , भला उनमे गड़ेगा कौन ?
मैंने गम्भीर होकर कहा --- ' दूसरों की तो खुदा जाने l मैं अपने संकीर्ण विचारों को नित्य चिंतन कर गहरे गाड़ देता हूँ l सोचता हूँ यही सपना औरों की भी समझ में आ जाये , तो खुदा को हैरान न होना पड़े l जिन्दा प्रेत कहीं नजर न आयें , सारा संसार सही अर्थों में मनुष्यों से घिरा सुख - समुन्नति की ओर बढ़ता दिखाई देने लगे l "
' एक बार मैं सपना देख रहा था l स्वप्न में एक भयानक भूत आया और मुझे डराने लगा l मैं उससे भयभीत होकर भागने की कोशिश करने लगा l भूत ने मुझे कसकर पकड़ लिया , भूत ने कहा ---- " तुम्हारी बिरादरी के लोग हैं , जिन्होंने ईश्वर की नाक में दम कर रखी है l तुम लोग धर्म की बातें करके अपनी चमड़ी बचाते हो और उन कामों को करने में लगे रहते हो जिनकी खुदा ने मनाही की है l धर्म के प्रवक्ताओं के ऐसे कार्य से खुदा बहुत दुःखी है l तुम्ही लोगों की अक्ल ठिकाने लगाने को खुदा ने मुझे भेजा है l आज मैं तुमसे निपटूगा l '
मैंने भूत से कहा -- मुझे जाने दें , आगे से मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा l भूत हंसने लगा , उसने मेरे हाथ में एक फावड़ा थमा दिया और कहा --- फुरसत के समय तुम कब्रें खोदते रहना , दुनिया में चलते - फिरते , जिन्दा प्रेत बहुत हैं , तुम उन्ही को दफन करना , खुदा ने तुम्हारे लिए यही जिम्मेदारी सौंपी है l ' जिन्दा प्रेत ' ? भूत ने कहा ---- " जो दूसरों का दर्द नहीं समझ सकते , जिन्हें आपाधापी के अलावा और कुछ नहीं सूझता , जिनके पास दूसरों को धोखा देकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना ही एक मात्र धन्धा है , वे जिन्दा भूत नहीं तो और क्या हैं ? ऐसे व्यक्ति धरती पर बोझ हैं , समाज के लिए सिरदर्द हैं , जीवित रहते हुए भी मृतक के समान हैं l उन्हें दफन नहीं करोगे तो , इस दुनिया में जिन्दा लोगों के रहने के लिए जगह ही कहाँ बचेगी ? "
यह सपना अपने एक मित्र को सुनाया , तब से हर रात वही सपना बारम्बार आता है , रात भर जिन्दा प्रेतों के लिए न जाने कितनी कब्रें खोदता हूँ l मित्र हंसने लगा , बोला --- तुम्हारे सपने की कब्रें तो कल्पना - लोक हैं , भला उनमे गड़ेगा कौन ?
मैंने गम्भीर होकर कहा --- ' दूसरों की तो खुदा जाने l मैं अपने संकीर्ण विचारों को नित्य चिंतन कर गहरे गाड़ देता हूँ l सोचता हूँ यही सपना औरों की भी समझ में आ जाये , तो खुदा को हैरान न होना पड़े l जिन्दा प्रेत कहीं नजर न आयें , सारा संसार सही अर्थों में मनुष्यों से घिरा सुख - समुन्नति की ओर बढ़ता दिखाई देने लगे l "