'प्रतिभा वस्तुतः संकल्प शक्ति , चिंतन शक्ति एवं जुझारूपन का नाम है l परिष्कृत प्रतिभा मनुष्य को उपलब्ध श्रेष्ठतम ईश्वरीय विभूति है l क्योंकि अन्य सभी विभूतियाँ जैसे - धन , कला - कौशल , योग्यता , बलिष्ठता आदि इसी की ऊर्जा से अर्जित की जाती हैं l '
प्रतिभा का विपुल भंडार हर व्यक्ति के अन्दर भरा पड़ा है , इस प्रसुप्त प्रतिभा को जागने का अवसर मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि भ्रष्ट चिंतन और दुष्ट आचरण से बचने का भरसक प्रयत्न किया जाये l प्रतिभा के बल पर ही व्यक्ति सर्वथा प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भी उन्नति के शिखरों पर जा पहुँचते हैं l
बीसवीं सदी के महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन बचपन में मूढ़मति थे l अपनी पुस्तक ' वर्ल्ड एज आई सा ' में वे लिखते हैं कि बचपन में उनकी गणना मूर्खों में होती थी l स्कूल में वे सबसे फिसड्डी थे l उनकी बुद्धिहीनता से तंग आकर एक शिक्षक ने उनसे यह तक कह दिया था कि तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगे l बचपन में मूर्ख समझे जाने वाले अलबर्ट ने जब अपने संकल्प को जगाया , क्रिया - कलापों को व्यवस्थित किया तो अपनी विचारशक्ति को क्रमशः परिष्कृत करते हुए एक दिन नोबेल पुरस्कार विजेता , अणुशक्ति के आविष्कारक , सापेक्षवाद के प्रणेता आदि नामों से प्रख्यात हुए और अपने क्षेत्र की सर्वोच्च प्रतिभा के रूप में प्रतिष्ठित हुए l
प्रतिभा का विपुल भंडार हर व्यक्ति के अन्दर भरा पड़ा है , इस प्रसुप्त प्रतिभा को जागने का अवसर मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि भ्रष्ट चिंतन और दुष्ट आचरण से बचने का भरसक प्रयत्न किया जाये l प्रतिभा के बल पर ही व्यक्ति सर्वथा प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भी उन्नति के शिखरों पर जा पहुँचते हैं l
बीसवीं सदी के महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन बचपन में मूढ़मति थे l अपनी पुस्तक ' वर्ल्ड एज आई सा ' में वे लिखते हैं कि बचपन में उनकी गणना मूर्खों में होती थी l स्कूल में वे सबसे फिसड्डी थे l उनकी बुद्धिहीनता से तंग आकर एक शिक्षक ने उनसे यह तक कह दिया था कि तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगे l बचपन में मूर्ख समझे जाने वाले अलबर्ट ने जब अपने संकल्प को जगाया , क्रिया - कलापों को व्यवस्थित किया तो अपनी विचारशक्ति को क्रमशः परिष्कृत करते हुए एक दिन नोबेल पुरस्कार विजेता , अणुशक्ति के आविष्कारक , सापेक्षवाद के प्रणेता आदि नामों से प्रख्यात हुए और अपने क्षेत्र की सर्वोच्च प्रतिभा के रूप में प्रतिष्ठित हुए l