गोल्डामेयर का जन्म 1898 में रूस में हुआ था l उन दिनों रूस में यहूदियों को क्रान्तिकारी मानकर विशेष रूप से कष्ट दिए जाते थे , अत: उनका परिवार अमेरिका आकर बस गया l यहूदियों पर अकथनीय अत्याचारों का उनके मन पर इतना असर हुआ कि जब वे हाई स्कूल में थीं तभी से उनके मन में यह प्रेरणा उठी कि यहूदियों के लिए ' स्वदेश ' हो , यहूदी -राज्य हो l गोल्डा का स्पष्ट उद्देश्य कष्ट और सब प्रकार की असुविधाएं सहकर भी अपनी जाति के उद्धार के लिए प्रयत्न करना था l 1923 में अमेरिका का सुविधापूर्ण जीवन त्याग कर गोल्डा पैलेस्टाइन पहुंची और दूसरे ही दिन से तेज धूप में कृषि फार्म में बारह घंटे कार्य करने लगीं l विरोधी धर्म वालों द्वारा शासित और सैकड़ों वर्षों से उजाड़ पड़े हुए देश को निवास योग्य बनाने के लिए कड़ा परिश्रम अनिवार्य था l सार्वजनिक जीवन में उन्होंने इतना काम किया कि पैलेस्टाइन के निवासी ही नहीं इंग्लैंड और अमेरिका के हजारों प्रसिद्ध पुरुष उनके प्रशंसक बन गए l 1949 में ' इसराइल ' राष्ट्र के स्थापित होते ही सबसे बड़ी समस्या अरब शासक के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए सैन्य सामग्री खरीदना l इसके लिए पचासों करोड़ रु. की आवश्यकता थी l तब गोल्डा कर्ज और चंदे के रूप में धन इकट्ठा करने अमेरिका गईं l स्वयं इसराइल के खजांची ने कहा अमेरिका से पचास - साठ डालर से अधिक ऋण नहीं मिल सकेगा l पर गोल्डा ने ढाई महीने में पांच करोड़ डालर इकट्ठा कर के दिखा दिया l उस अवसर पर इसराइल राष्ट्र के प्रथम प्रधान मंत्री बेनगुरियो ने कहा ---- " किसी दिन जब इसराइल राष्ट्र का इतिहास लिखा जायेगा , तो लोग जान सकेंगे कि एक यहूदी स्त्री थी जिसने धन इकट्ठा कर के दिया और उसी से राष्ट्र का स्थिर रह सकना संभव हुआ l "
अरब लोगों से मार -काट आरम्भ हो जाने पर गोल्डा बहुत बड़ा खतरा मोल लेकर अरब स्त्री वेश धारण करके बड़ी चालाकी से जॉर्डन बादशाह अब्दुल्ला मिलने गईं और एक चतुर राजनीतिज्ञ की तरह अपने विरोधी अरब शासकों में से एक प्रमुख व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से अपने अनुकूल बना लिया जिससे युद्ध कुछ समय के लिए रुका रहा , यहूदियों ने अपनी शक्ति बढ़ा ली और अंत में उनके कथनानुसार यहूदियों की ही विजय हुई l
इसराइल की स्थापना के बाद जब गोल्डामेयर को राजदूत बनाकर रूस भेजा गया तो वहां के यहूदियों ने उनका बहुत उत्साह से स्वागत किया और यहूदियों के ' सिनागोग ' ( धर्म मंदिर ) में उन्हें देखने के लिए 40 हजार व्यक्तियों की भीड़ लग गई l जब इसराइल के श्रम मंत्री पद पर उन्हें नियुक्त किया गया तो उन्होंने मजदूरों के लिए सस्ते और सुविधा जनक मकान बनाये जाने की व्यवस्था की l 1956 में जब गोल्डामेयर विदेश मंत्री बनी तो आठ वर्षों में उन्होंने प्रयत्न कर के
40 देशों से इसराइल राष्ट्र का राजनीतिक संबंध स्थापित किया l 18 मार्च 1969 को वो देश की सर्वोच्च शासक चुन ली गईं l
अरब लोगों से मार -काट आरम्भ हो जाने पर गोल्डा बहुत बड़ा खतरा मोल लेकर अरब स्त्री वेश धारण करके बड़ी चालाकी से जॉर्डन बादशाह अब्दुल्ला मिलने गईं और एक चतुर राजनीतिज्ञ की तरह अपने विरोधी अरब शासकों में से एक प्रमुख व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से अपने अनुकूल बना लिया जिससे युद्ध कुछ समय के लिए रुका रहा , यहूदियों ने अपनी शक्ति बढ़ा ली और अंत में उनके कथनानुसार यहूदियों की ही विजय हुई l
इसराइल की स्थापना के बाद जब गोल्डामेयर को राजदूत बनाकर रूस भेजा गया तो वहां के यहूदियों ने उनका बहुत उत्साह से स्वागत किया और यहूदियों के ' सिनागोग ' ( धर्म मंदिर ) में उन्हें देखने के लिए 40 हजार व्यक्तियों की भीड़ लग गई l जब इसराइल के श्रम मंत्री पद पर उन्हें नियुक्त किया गया तो उन्होंने मजदूरों के लिए सस्ते और सुविधा जनक मकान बनाये जाने की व्यवस्था की l 1956 में जब गोल्डामेयर विदेश मंत्री बनी तो आठ वर्षों में उन्होंने प्रयत्न कर के
40 देशों से इसराइल राष्ट्र का राजनीतिक संबंध स्थापित किया l 18 मार्च 1969 को वो देश की सर्वोच्च शासक चुन ली गईं l