ज्ञानी जब अहंकारी हो जाता है , तब उसके अन्त:करण से करुणा नष्ट हो जाती है l उस स्थिति में वह औरों का मार्गदर्शन नहीं कर सकता , केवल मात्र दंभ प्रदर्शन कर सकता है , जिससे लोग प्रकाश लेने की अपेक्षा पतित होने लगते हैं l
' अच्छी स्थिति में लोगों को देखकर सर्व साधारण उनसे प्रभावित तो होता है , पर अनुकरण की प्रेरणा प्राप्त नहीं करता क्योंकि वह यह समझने लगता है कि यह हमारे वश की बात नहीं है l इन आदर्शों को विशिष्ट शक्ति संपन्न लोग ही जीवन में उतार सकते हैं l उनकी बातें सुनने में तो अच्छी हैं पर अनुकरण की सामर्थ्य हम में नहीं l '
' किसी को कहकर या उपदेशों द्वारा प्रभावित नहीं किया जा सकता | उसे आचरण की प्रेरणा देने के लिए स्वयं के कार्यों और आचरण द्वारा ही आदर्श उपस्थित करना होता है l '
' अच्छी स्थिति में लोगों को देखकर सर्व साधारण उनसे प्रभावित तो होता है , पर अनुकरण की प्रेरणा प्राप्त नहीं करता क्योंकि वह यह समझने लगता है कि यह हमारे वश की बात नहीं है l इन आदर्शों को विशिष्ट शक्ति संपन्न लोग ही जीवन में उतार सकते हैं l उनकी बातें सुनने में तो अच्छी हैं पर अनुकरण की सामर्थ्य हम में नहीं l '
' किसी को कहकर या उपदेशों द्वारा प्रभावित नहीं किया जा सकता | उसे आचरण की प्रेरणा देने के लिए स्वयं के कार्यों और आचरण द्वारा ही आदर्श उपस्थित करना होता है l '