गोपालकृष्ण गोखले के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए महात्मा गाँधी ने लिखा है ---- "वे स्फटिक जैसे निर्मल , गाय जैसे सरल , सिंह जैसे शूर थे l उदारता इतनी अधिक थी कि उसे दोष भी माना जा सकता है l मेरी द्रष्टि से राजनेताओं के क्षेत्र में वे एक आदर्श व्यक्ति थे l " गांधीजी गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे और अपनी गतिविधि निर्धारित करने में उनसे बहुत प्रकाश ग्रहण करते थे l
श्री गोखले ने ही दक्षिण अफ्रीका से गांधीजी को निमंत्रण देकर भारत बुलाया और उनके हाथ में जन -नेतृत्व सौंपने की भूमिका बड़ी कुशलता से पूरी की l उन्होंने लोकसेवा में अपना जीवन उत्सर्ग करने वाले जन सेवकों की निर्वाह व्यवस्था के लिए ' सर्वेन्ट ऑफ इण्डिया सोसायटी ' की स्थापना की l इस सोसाइटी के सदस्यों ने भाषण , लेखन , कला व रचनात्मक कार्य द्वारा जन जीवन में नव - जागरण की ऐसी आग फूंकी जो राजनीतिक पराधीनता समाप्त होने तक कभी बुझने न पाई l
अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के दोहन का वे निरंतर भंडाफोड़ करते और उस प्रयत्न में लगे रहे कि भारतीय जनता को सरकार द्वारा उपयोगी कार्यों का अधिकाधिक लाभ मिले l देश के कोने - कोने में भ्रमण कर के उन्होंने राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने वाले असंख्य भाषण दिए l गोपालकृष्ण गोखले राजनेता के रूप में प्रख्यात हैं पर वस्तुतः वे एक ऋषि थे l
श्री गोखले ने ही दक्षिण अफ्रीका से गांधीजी को निमंत्रण देकर भारत बुलाया और उनके हाथ में जन -नेतृत्व सौंपने की भूमिका बड़ी कुशलता से पूरी की l उन्होंने लोकसेवा में अपना जीवन उत्सर्ग करने वाले जन सेवकों की निर्वाह व्यवस्था के लिए ' सर्वेन्ट ऑफ इण्डिया सोसायटी ' की स्थापना की l इस सोसाइटी के सदस्यों ने भाषण , लेखन , कला व रचनात्मक कार्य द्वारा जन जीवन में नव - जागरण की ऐसी आग फूंकी जो राजनीतिक पराधीनता समाप्त होने तक कभी बुझने न पाई l
अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के दोहन का वे निरंतर भंडाफोड़ करते और उस प्रयत्न में लगे रहे कि भारतीय जनता को सरकार द्वारा उपयोगी कार्यों का अधिकाधिक लाभ मिले l देश के कोने - कोने में भ्रमण कर के उन्होंने राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने वाले असंख्य भाषण दिए l गोपालकृष्ण गोखले राजनेता के रूप में प्रख्यात हैं पर वस्तुतः वे एक ऋषि थे l