कुलकर्णी जी ( जन्म 1883) अपने कार्यक्षेत्र में नाथ जी महाराज के नाम से विख्यात हैं l उपासना के नाम पर चलने वाले ढोंग और गुरुडम के प्रति उन्होंने लोगों को सचेत किया l वे दूसरों के दुःख को अपना दुःख मानकर सेवा करने को सदैव तत्पर रहते थे l उनके एक मित्र ने कहा था कि यदि नाथ जी की सेवा उपलब्ध हो सके तो पुन: बीमार पड़ने की इच्छा होती है l
गाँधीवादी विचारक स्वर्गीय किशोरीलाल नशरुवाला को जब अपने निकट सम्बन्धियों में ही स्वार्थ की गंध आने लगी तो सब कुछ मिथ्या और नाशवान मानकर उनने घर छोड़ने की तैयारी कर दी तो गांधीजी के कहने पर नाथ जी ने ही उन्हें रोका और समझाया - बुझाया था l जीवन की सार्थकता पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था ---- " मनुष्य को पूर्णता तक ले जाने की सामर्थ्य सिर्फ कर्मयोग में है l अत: हमारे छोटे - बड़े सभी कार्य सावधानी पूर्वक और निष्काम भाव से संपन्न होने चाहिए l इसी में हमारे जीवन की सार्थकता है | " वे सदा प्रत्येक व्यक्ति को पुरुषार्थी बनने की प्रेरणा देते रहते थे l
गाँधीवादी विचारक स्वर्गीय किशोरीलाल नशरुवाला को जब अपने निकट सम्बन्धियों में ही स्वार्थ की गंध आने लगी तो सब कुछ मिथ्या और नाशवान मानकर उनने घर छोड़ने की तैयारी कर दी तो गांधीजी के कहने पर नाथ जी ने ही उन्हें रोका और समझाया - बुझाया था l जीवन की सार्थकता पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था ---- " मनुष्य को पूर्णता तक ले जाने की सामर्थ्य सिर्फ कर्मयोग में है l अत: हमारे छोटे - बड़े सभी कार्य सावधानी पूर्वक और निष्काम भाव से संपन्न होने चाहिए l इसी में हमारे जीवन की सार्थकता है | " वे सदा प्रत्येक व्यक्ति को पुरुषार्थी बनने की प्रेरणा देते रहते थे l