श्री चैतन्य महाप्रभु ने कीर्तन का प्रचार हिन्दू जाति को जाग्रत और संगठित करने के लिए किया था , जिससे वह विदेशी आक्रमणकारियों का सामना अच्छी तरह कर सकें | उन्होंने कीर्तन में राम - कृष्ण का नाम लेने के साथ उनके आत्म - त्याग , समाज - सेवा आदि गुणों को भी अपनाया था l कीर्तन के माध्यम से उन्होंने समाज को सन्मार्ग पर चलने , सद्गुणों को अपनाकर जाग्रत और संगठित होने की प्रेरणा दी l
गौरांग महाप्रभु चैतन्य देव जब नित्यानंद के साथ कीर्तन करते निकलते तो दो डाकू जघाई - मघाई उनसे झगड़ते , कहते ----- " हमारी नींद मत खराब किया करो l ' बोल हरि बोल ' का कीर्तन कहीं और कर लिया करो , पर हमारे घर के सामने नहीं l " पर चैतन्य महाप्रभु ने अपना मार्ग नहीं बदला l उनने उन्हें नित्य जगाना आरम्भ किया और कहा कि---- अच्छा तुम यह नहीं बोल सकते तो हित की बात बोलो , इससे तुम्हारा परम हित सध जायेगा l ढोल , मृदंग - झांझ की थाप पर वे कीर्तन करते ------ ' मागुर माछेर झोल --- जुवति में एक कोल , बोल हरि बोल l ( मागुर मछली का झोल मिलेगा , नारी का साथ होगा , पर पहले हरि बोल )
संसार के दो सुख ---- स्वाद और वासना --- इसकी चर्चा कर सभी संसारी लोगों को आकर्षित कर उनने उनकी जीवन द्रष्टि बदल दी l कीर्तन ने कीकट देश , बंगाल व उड़ीसा की भूमि के संस्कार बदल दिए एवं सारा क्षेत्र भक्ति प्रधान हो गया l
गौरांग महाप्रभु चैतन्य देव जब नित्यानंद के साथ कीर्तन करते निकलते तो दो डाकू जघाई - मघाई उनसे झगड़ते , कहते ----- " हमारी नींद मत खराब किया करो l ' बोल हरि बोल ' का कीर्तन कहीं और कर लिया करो , पर हमारे घर के सामने नहीं l " पर चैतन्य महाप्रभु ने अपना मार्ग नहीं बदला l उनने उन्हें नित्य जगाना आरम्भ किया और कहा कि---- अच्छा तुम यह नहीं बोल सकते तो हित की बात बोलो , इससे तुम्हारा परम हित सध जायेगा l ढोल , मृदंग - झांझ की थाप पर वे कीर्तन करते ------ ' मागुर माछेर झोल --- जुवति में एक कोल , बोल हरि बोल l ( मागुर मछली का झोल मिलेगा , नारी का साथ होगा , पर पहले हरि बोल )
संसार के दो सुख ---- स्वाद और वासना --- इसकी चर्चा कर सभी संसारी लोगों को आकर्षित कर उनने उनकी जीवन द्रष्टि बदल दी l कीर्तन ने कीकट देश , बंगाल व उड़ीसा की भूमि के संस्कार बदल दिए एवं सारा क्षेत्र भक्ति प्रधान हो गया l