30 December 2017

WISDOM---------------

   अहंकार  आ  जाने  पर व्यक्ति  को   हर  कोई  झूठी  प्रशंसा  कर  के अपने  पथ  से  विचलित  कर  देता  है  l  कुटिल  की  मित्रता  और  अपना  अहंकार   व्यक्ति  के  पतन  का  कारण  बनता  है  l  जागरूकता  जरुरी  है  l   यह  भी  देखना  चाहिए  कि   अपनी  योग्यता ,  सच्चाई ,  ईमानदारी  का  लाभ   गलत  व्यक्ति  तो  नहीं   उठा  रहे  हैं  l  ऐसे  में  ये  अच्छाइयाँ  निरर्थक  चली  जाएँगी   l   

29 December 2017

WISDOM --- कठिन संघर्षों के बाद मिलने वाली सफलता प्रसन्नता देती है

  जीवन  में  आसानी  से  मिलने  वाली  सफलता  से  उत्पन्न  सुख   वास्तव  में   व्यक्ति  को  उतना  प्रसन्न  नहीं   करता  ,  जितना  कठिन  संघर्षों   के  बाद  मिलने  वाली  सफलता  करती  है  l  एवरेस्ट  की  चढ़ाई  अत्यंत  कठिन  होती  है  l  इस  कठिन  चढ़ाई  पर  सफलता  पाने  का  गौरव  हासिल  करने  वाली  पहली  महिला   जुंको  ताबेई  का  कहना  है ---- " दुनिया  के  विभिन्न  मंचों  पर  सम्मानित  होना  अच्छा  लगता  है  ,  लेकिन  यह  अच्छा   लगना   उस  अच्छा  लगने  की  तुलना  में  बहुत  कम  है  ,  जिसकी  अनुभूति  मुझे   एवरेस्ट  पर  कदम  रखने  के  समय  हुई  थी  ,  जबकि  वहां  तालियाँ  बजाने  वाला  कोई  नहीं  था  l  उस  समय हाड़  कंपकपाती  बर्फीली  हवा  ,  कदम - कदम  पर  मौत  की  आहट,  लड़खड़ाते  कदम  और  फूलती  साँसों  से  संघर्ष  के  बाद  जब  मैं  एवरेस्ट  पहुंची  तो  यही  लगा  कि  मैं  दुनिया  की   सबसे  खुश  इनसान  हूँ
                     वास्तव  में जब  व्यक्ति  अपने  संघर्षों  से  दोस्ती  कर  लेता  है ,  प्रसन्नता  के  साथ  उन्हें  अपनाता  है  ,  उत्साह  के  साथ  चलता  है   तो  संघर्ष  का  सफ़र  उसका  साथ  देता  है   और  उसे  कठिन  से  कठिन   डगर  को  पार  करने  में  मदद  करता  है   l  

28 December 2017

WISDOM ----- सामाजिक समस्याओं और विकारों को सुलझाने का एकमात्र हल है ---- जन मानस की चेतना का स्तर ऊँचा उठाया जाये

समाज  और  जन - साधारण  अनेक  समस्याओं  और  विकृतियों  और  समस्याओं  से  परेशांन   है  l  इन  विकृतियों  का  एकमात्र  कारण  सामाजिक  कुरीतियाँ , पारिवारिक  अस्त व्यस्तता   और  व्यक्तिगत  अनैतिकता  है  l  विवेक  और  सामाजिकता  का  अभाव  ही  हर  व्यक्ति  को   अवांछनीयता  की  और  धकेलता  है   l  यदि  किसी  प्रकार  इन  विकारों  को  दूर  किया  जा  सके  तो  सभी  समस्याएं  आसानी  से  सुलझ  सकती  हैं  l
   जन- मानस के   स्तर   को  ऊँचा  उठाने   और  उसमे  घुसी  विकृतियों  को  दूर  करने  के  लिए      रंगमंच , फिल्मे  और  श्रेष्ठ  साहित्य  उत्तम  साधन  है  l   समाज  सुधार  की श्रेष्ठ  फ़िल्में ,   उच्च  कोटि  के  साहित्य  द्वारा   लोगों  को  सद्विचारों  की  शिक्षा  दी  जा  सकती  है   l 

27 December 2017

WISDOM ----- अत्याचार और अन्याय का विरोध अनिवार्य है

   द्वितीय  विश्वयुद्ध  चल  रहा  था   l  महर्षि  अरविन्द  को  एहसास  हुआ  कि  अंग्रेजों  से  घ्रणा  करने  के  कारण  आश्रम  के  कुछ  अन्तेवासी  मन  ही  मन   हिटलर  की  विजय  की   दुआ  करने  लगे  हैं  l  आपस  की  चर्चाओं  में  भी  कभी - कभी  यह  बात   आ  ही  जाती  है  l   श्री  अरविन्द  ने  तत्कालीन  शीर्ष  कार्यकर्ताओं  की  शाम  की   एक  बैठक  में  कहा  ---- "  जो  लोग  ऐसा  कर  रहे  हैं ,  वे  असुरता  की  विजय  चाहते  हैं  l  भारतीय  मूल्य  हमें  ऐसा  नहीं  करने  देंगे  l  ऐसे  व्यक्ति  जो  हिटलर  की  विजय  की  इच्छा  रखते  हों  ,  आश्रम  से  चले  जाएँ  l  प्रश्न  मूल्यों  का  है  l  हम  परमात्मा  की  ,  आदर्शों  की  विजय  चाहते  हैं  l  "
   श्री  अरविन्द  कहते  थे  ---- " युवाओं  को  ही  नूतन  विश्व  का  निर्माता  बनना   है  l  उन  सभी  को  मैं  आमंत्रित  करता  हूँ   जो  एक  महानतम   आदर्श  के  लिए  सत्य  को  स्वीकारते  हुए ,  श्रम  करते  हुए  ,  मस्तिष्क  और  ह्रदय  को  स्वतंत्र  रखते  हुए  संघर्ष  कर  सकते  हैं  l  ये  ही  नवयुग  लायेंगे  l  "

25 December 2017

सर्वप्रिय ------ महामना पं. मदनमोहन मालवीयजी

    मालवीयजी  धर्म भक्त ,  देश   भक्त   और  समाज  भक्त  होने  के  साथ - साथ   सुधारक  भी  थे  ,  पर  उनके  सुधार  कार्यों  में  अन्य  लोगों  से  कुछ  अंतर  था  l  अन्य  सुधारक  जहाँ  समाज  से  विद्रोह ,  संघर्ष  करने  लग  जाते  हैं  वहां  मालवीयजी  समाज  से  मिलकर  चलने  के  पक्षपाती  थे  l  वे  सुधार  अवश्य  करते  थे  ,  जैसे  उन्होंने  हरिजनों  को मन्त्र  दीक्षा  दी  ,  पर  उन्होंने  यह  कार्य  लोगों  को  समझा-बुझाकर  और  राजी  कर के  ही  किया  l  उनका  मत  था  कि   समाज  से  विद्रोह  कर  के  ,  अपने  नए  रास्ते  पर  चलने  से  कोई  ठोस  कार्य  नहीं  कर  सकते  l  उस  अवस्था  में  समाज  हमारी  बात  की  तरफ  ध्यान  ही  नहीं  देगा    और  उसका  विरोध  करेगा  जिससे  सुधार  का  कुछ  भी  उद्देश्य  पूरा  न  होगा  l 
  मालवीयजी  ने  सुधार  के  कामों   में  कभी  जल्दबाजी  नहीं  की  ,  जो  कुछ  किया   वह  समाज  को  साथ  लेकर  ही  किया  l  उनका  कहना  था  कि  जब  हम  समाज  के  कल्याण  के  लिए  प्रयत्न  कर  रहे  हैं   तो  उसके  साथ  रहकर  ही  वैसा  किया  जा  सकता  है  l
 मालवीयजी  स्वभाव  से  ही   यथासंभव  समझौते  से  कार्य  को   सिद्ध  करने  की  नीति  में   विश्वास  रखते  थे  ,  इसका  परिणाम  यह  हुआ  कि   सामाजिक ,  धार्मिक  और  राजनीतिक  क्षेत्र  में  उन्होंने   बड़ी - बड़ी  कठिन  समस्याओं  को  सुलझा  दिया  l  मालवीयजी  लोकप्रिय  थे  ,  जनता  उनके  प्रति  श्रद्धा  रखती  थी  l 

24 December 2017

WISDOM -----

  दार्शनिक  च्वान्ग्त्से  को   रात्रि  के  समय  कब्रिस्तान  से  होकर  गुजरते  समय  पैर  में  ठोकर  लगी   l  टटोल  कर  देखा  तो   किसी  मुर्दे  की  खोपड़ी  थी   l  उठाकर  उनने  उसे  अपनी  झोली  में  रख  लिया   और  सदा  साथ  रखने  लगे   l  शिष्य  ने  इस  पर  उनसे  पूछा  -- यह  इतना  गन्दा  और  कुरूप  है  l  उसे  आप  साथ  क्यों  रखते  हो  ?  च्वान्ग्त्से  ने  उत्तर  दिया ---- ' यह  मेरे दिमाग  का  तनाव  दूर  करने  की  अच्छी  दवा    है  l  जब   अहंकार  का  आवेश  चढ़ता  है  ,  लालच  सताता है   तो  इस  खोपड़ी  को  गौर  से  देखता  हूँ   l  कल  परसों  अपनी  भी  ऐसी  ही  दुर्गति  होगी   तो  अहंकार  और  लालच  किसका  किया  जाये   ?
  वे  मृत्यु  का  स्मरण  रखने  ,  अनुचित  आवेशों  के  समय  का  उपयुक्त  उपचार  बताया  करते  थे   और  इसके  लिए  मुर्दे  की  खोपड़ी  का  ध्यान  करने  की  सलाह  दिया  करते  थे   और  वे  स्वयं  खोपड़ी  सदा  साथ  रखते  थे   l 

23 December 2017

WISDOM ----- अनीति , अनाचार ही सारी विपत्तियों का कारण है , सामूहिक शक्ति से इसे समूल नष्ट करें

  समाज  में  सज्जन  लोगों  की  कमी  नहीं  है   लेकिन  असुरता  बढ़ती  जा  रही  है   क्योंकि  अनीति ,  अत्याचार  का  विरोध - प्रतिरोध  करने  के  लिए   कोई  साहस  नहीं  दिखता  l  वेदों  में  कहा  गया  है --- ' हे  भगवन  ! आप  हमें '  मन्यु  ' प्रदान  करें  l  'मन्यु '  का  अर्थ  है  वह  क्रोध   जो  अनाचार के  विरोध  में  उमगता  है   l   इसमें  लोकमंगल  विरोधी   अनाचार  को   निरस्त  करने  का   विवेकपूर्ण  संकल्प  जुड़ा  होता  है   l   क्रोध  के  समतुल्य  दिखने  पर  भी  यह  ईश्वरीय  वरदान  है  l 

22 December 2017

WISDOM ----- ईश्वरीय न्याय में विश्वास होने पर ही व्यक्ति पाप कर्म से दूर रहेगा

  किये  गए  अच्छे  कर्मों  से   व्यक्ति  अपने  जीवन  में  पुण्यों  का  संचय  करता  है   और  बुरे  कर्मों  के  द्वारा  पाप  का   l   कर्मों  का  फल  तुरंत  नहीं  मिलता  , इसलिए  मनुष्य  को  अपने  किये  गए  कर्मों  का  कोई   एहसास  नही  होता  l  उसे   यही  लगता  है  कि  इतने  सारे  लोग  गलत  कार्य  कर  रहे  हैं   और  जीवन  में  सफल  हैं  , सुख  भोग  रहे  हैं   तो  वह  भी  क्यों  न  करे  ?  यह  मनुष्य   का  अज्ञान  ही  है   कि  वह  क्षणिक  लाभ  के  लिए   वर्तमान  में  बुरे  कर्म  करने  को  तैयार  हो  जाता  है   और  अच्छे  कर्मों  के  माध्यम  से   लाभ  कमाने  के  लिए  तैयार नहीं  होता   l
  कर्मफल  को  समझने के  लिए  हमें  व्यक्ति  के   पूरे   जीवन  को  देखना  चाहिए   जैसे  औरंगजेब   ने  सत्ता  हथियाने  के  लिए   अपने  भाइयों  की  हत्या  करवाई ,  अपने  पिता  को मरवाया   l   शासक  बना  . लेकिन   वह  अपने  जीवन  के  अंतिम  समय में    विक्षिप्त   होकर  मरा  l  अंतिम  समय  में  उसका  जीवन  इतना  कष्ट पूर्ण  था   जिसे  एक  पल  भी  सहन  करना  कठिन  था   l  यह  उसके  कर्मों  का  ही  परिणाम  था  l 

21 December 2017

WISDOM ------ तृष्णा का अंत नहीं होता

    आचार्य  शंकर  एक  गाँव  में   शिव  मंदिर  में  ठहरे  थे  l  उस  गाँव  के  एक  वृद्ध  सज्जन  उनसे  मिले  आये  l   आचार्य  ने   उनकी   ओर  देखा  --- झुकी  हुई  कमर ,  दंतविहीन  मुख ,  शरीर  भी  अति   कमजोर ,  फिर  भी  उन्होंने  अपने  कांपते   हाथों  में  एक   पुस्तक   पकड़ी  हुई  थी   l  उसने  कहा --- ' आचार्य  1  आप  परम  विद्वान  हैं  , मुझे  व्याकरण  का  ज्ञान  दें  l "  आचार्य  ने  कहा --- ' " इस  आयु  में   सीखने  की  इच्छा  प्रशंसनीय  है  l   परन्तु  यदि  आपको  ज्ञान  पाना  है  ---- '  वह  वृद्ध  कहने  लगा ---- "  मैं  व्याकरण  सीखूंगा , फिर  शास्त्रों  का  अध्ययन  करूँगा  l  पंडित ,  फिर  महा पंडित  बनूँगा  l    शास्त्रार्थ  में  विजेता  होने  पर  मेरा  सम्मान  होगा  l  लोग  मुझे  तर्क शिरोमणि ,  ज्ञानी वृद्ध ,  महा महोपाध्याय   कहेंगे  l '
   इस   कमजोर ,  कांपते  हुए  वृद्ध  की  मनोदशा  पर  आचार्य  को  करुणा  हो  आई  ,  साथ  ही  उनमे  रोष  भी  उभरा  l   उन्होंने  कहा --- "  इतनी  आयु  होने  पर  भी  तुम्हारी   महत्वाकांक्षा ,  तृष्णा  न  छूटी  l  ज्ञान  शब्दों  में  नहीं  ,  अहंकार  के  पोषण  में  नहीं   बल्कि  अहंकार  के  विनाश  में  है  l  काल  ने  तुम्हारी  आयु  को  समाप्त  कर  दिया ,  अब  मरण  समीप  आने  पर   यह  व्याकरण  काम  नहीं  आएगा   l  अब  तुम   गोविन्द  का  भजन  करो  l  भक्ति  से  ही  अहंकार  का  विनाश  होगा  l  "

20 December 2017

WISDOM ------ प्रतिकूलताओं में भी जीवन जीना सीखना चाहिए

  जीवन  के  इस  महासमर  में  तनाव  से  गुजरते  हुए   यदि  शांति  चाहिए   तो  ' गीता ' का  ज्ञान  जरुरी  है  l  संघर्ष  और  चुनौतियां  तो  जीवन  में  रहेंगी  ही  , इसलिए  प्रतिकूलताओं  में  जीवन  जीना  सीखना  चाहिए  l
  हमारे  जीवन  में  जो  परेशानियाँ  आती  हैं   उन्हें  गीता  ' अवसर '  का  नाम  देती  है  l  यही  अवसर   व्यक्ति  के  जीवन  को  ऊँचाइयों  तक   ले  जाता  है   और  इस  अवसर  के   चूक  जाने  पर   व्यक्ति  वहीँ  का  वहीँ   खड़ा  रह  जाता  है  l 
   गीता  हमें    असफलताओं  में   सफलता  का  मार्ग  दिखाती  है  ,  अवसाद  से  निकालने  का  कार्य  करती  है   और  हमारे  जीवन  संबंधों  को  भी  निखारती  है  l  हम  अपने  जीवन  में  किसी  भी  क्षण  उत्तेजित  व  दुःखी  न  हों  और  सदैव  ईश्वर  की  शरण  में  रहें  l  ईश्वर  की  शरण  का  मतलब  कर्महीन  होना  नहीं  है  l  हम  ईश्वरीय  व्यवस्था  को  समझें  ,  उस  पर  विश्वास  रखें  l   आंतरिक  रूप  से  शान्त  और   बाहरी  जीवन  में  क्रियाशील  बने ,  कर्मयोगी  बने  l   हमारी  सोच  सकारात्मक  हो  l  हर  कष्ट  और  परेशानी  में  ,  कहीं  न  कहीं  एक  सुख  छुपा  होता  है  ,  हम  उसी  सुख  की  अनुभूति  कर  मन  को  शांत  रखें  l  यह  सकारात्मक  सोच  ही   हमारे  जीवन  को  सफलता  की  ऊँचाइयों  पर  ले  जाएगी  l 

19 December 2017

WISDOM ------- ईश्वर कहाँ है ? ------ ----

  पुराणों  में  एक  कथा  आती  है ------ पहले  भगवन  सर्वत्र  सहज   सुलभ    थे  l  लोग  उनसे  मिलकर ,  अपनी  कष्ट - समस्याएं   सुनाकर  समाधान  पा  लेते  थे   l  लोग  निस्वार्थ  भाव  से  उनकी  छवि का   दर्शन  करते   और  अपने  जीवन  को  धन्य  बनाते  l   फिर  लोगों  में  स्वार्थ भाव  जगा , वासना , तृष्णा,  आवश्यकताएं  बढ़ती   गईं  l  पहले  भगवान को  भक्त   घेरे  रहते  थे  अब  स्वार्थी , लालची  और  मनोकामना  पूरी  कराने  वालों  की  भी  भीड़  बढती  गई  l
  भगवान  ने  अपने  सभासदों  से  पूछा  --- कोई  ऐसा  गुप्त  स्थान  बताएं  जहाँ  मैं   थोड़ी  देर  विश्राम  कर  लूँ   l"    कहीं  कोई  स्थान  नहीं  मिला ,  हर  जगह  मनुष्य  अपनी  कामनाएं  लेकर  पहुँच  जाता  है  l  अंत  में  नारद  जी  की  सलाह  पर    भगवान्  मनुष्य  के  ह्रदय  में  जा  छुपे  ,  जो  अत्यंत  पवित्र  और  कोलाहल रहित  है  l 
  लेकिन  अब  स्थिति  विकट   हो  गई   l  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  सूख  गई ,  ईर्ष्या - द्वेष ,  छल - कपट  से  ह्रदय  भी  मलिन  हो  गया  l   स्वार्थी   मनुष्य   ने   ईश्वर  के  रहने  का  शांत - सुन्दर, पवित्र    स्थान  भी  छीन  लिया   और  अब  उनके  लिए  चूने - मिटटी  का  घर  बनाने  के  लिए  लड़  रहे हैं ,  मरने - मारने  पर  उतारू  हैं  l   अब  भगवान    ढूंढ    रहे  हैं  --- सच्चे  इनसान  को    !  

18 December 2017

WISDOM ------- भौतिक प्रगति के साथ मनुष्यों ने जीवन - मूल्यों को नाकारा है इस कारण समस्याएं उत्पन्न हुई हैं

  बुद्धि  और  शक्ति  के  साथ  यदि  संवेदना  न  हो  तो   ऐसी  भावशून्यता   और  संवेदनहीनता   के  कारण समाज  में  आतंकवाद ,  दंगे , खून - खराबा  बढ़  जाता  है   l
  जब  व्यक्ति   स्वार्थ , अहंकार ,  ईर्ष्या - द्वेष   जैसे  दुर्गुणों   से  स्वयं  को  दूर  रखेगा   और  उस     के  भीतर  संवेदना  जागेगी  तभी  वह  प्राणिमात्र   के  कल्याण  की  बात  सोच सकता  है   l
  एक  प्रसंग  है ----- कौशाम्बी   के  राजगृह  में  कारू  कसूरी  नामक  कसाई  रहता  था  l  वह  पशुओं  का  मांस  बेचकर  अपनी  जीविका  चलाता  था  l  जब  राजगृह  में  बौद्ध  संत  आते  तो  वह  उनके  दर्शनों  को  जाता  था   l  संत  किसी  भी  प्रकार  की  हिंसा  न  करने  की  प्रेरणा  दिया  करते  थे  l  परन्तु  कारू  कसूरी  कहता  --- मैं  अपने  पुरखों  के  धंधे  को  कैसे  छोड़  दूँ   ?  यदि  मैं  हिंसा  न  करूँ  तो  खाऊंगा  क्या  ? '
   जब  कारू  कसाई  वृद्ध  हो  गया  तो  उसने  तलवार  अपने  बेटे  सुलस  को  सौंप  दी  l  कसाइयों  की  पंचायत  में  सुलस  से  कहा  गया  कि   कुलदेवी  की  प्रतिमा  के  समक्ष  भैंसे  की  बलि  दो  l 
 सुलस  का  ह्रदय   पशुओं  के  वध  के  समय  उनकी  छटपटाहट  देख  द्रवित  हो  उठता  था  l  अत:  उससे  तलवार  नहीं  उठी  l  मुखिया  ने  दुबारा  उससे  कहा  ---- " बेटे  !  यह  हमारे  कुल  की  परंपरा  है  ,  देवी  को  प्रसन्न  करने  के  लिए  खून  बहाना  पड़ता  है  l "  सुलस  ने  भैंसे  की  जगह  अपने  पैर  में  तलवार मार  ली   l  पूछने  पर  सुलास  बोला   ---- ' यदि  देवी  को  रक्त  की  चाहत  है  तो  किसी  निर्दोष  का  खून  बहाने  से  बेहतर  है  कि   वे  मेरा  ही  रक्त  स्वीकार  कर  लें  l '  सुलस  की  बात  सुनकर  कसाई  का  ह्रदय  द्रवित  हो  गया  और  उस  दिन  के  बाद  से   उस  कसाई  के  परिवार  में  पशुवध  बंद  कर  दिया  गया   l '
  यदि  मनुष्य  के  भीतर  करुणा,  दया ,  सेवा , प्रेम  जैसे  भाव  जाग्रत  हो  जाएँ  तो  आत्मीयता  और   अपनेपन  का  विस्तार  होता  है   l 

17 December 2017

WISDOM ------ विनम्र होकर ही व्यक्ति सही अर्थों में बड़ा बनता है

 हमारे  धर्म - ग्रँथों  का  एक  मूल  मन्त्र  है --- जो  नम्र  होकर  झुकते  हैं  ,  वही   ऊपर  उठते  हैं  l
  विनम्र  व्यक्ति  संवेदनशील  होता  है  और  दूसरों  की  भावनाओं  का  सम्मान  कर  सकता  है  l  विनम्रता  हमारे  व्यक्तित्व  में  निखार  लाती  है   l   विनम्रता  के  वास्तविक  अर्थ  को  समझाने  वाली   एक  कथा   है                एक    बार  बाबा  फरीद  से  मिलने  एक  राजा  आया ,  वह  बड़ा  अहंकारी  था  l  बाबा  के  लिए  उपहार स्वरुप  एक  तलवार  लाया  l  उसने  बाबा  से  कहा --- " यह  भेंट  आपके  लिए  है  l " भेंट  देखकर  बाबा  फरीद  बोले ----- "  यह  बेशकीमती  तलवार  मेरे  किसी  काम  की  नहीं  l  मुझे  कुछ  देना  ही  चाहते  हो  तो   सुई  के  साथ  विनम्रता  का  उपहार  दो  l  वह  मेरे  लिए  ऐसी  सौ  तलवारों  से  भी  अधिक  कीमती  होगा   l  "  राजा  कुछ  समझ  न  सका  और  बोला --- "  बाबा  !  सुई  और  विनम्रता  ऐसी  सौ  तलवारों  का  मुकाबला  कैसे  कर  सकती  है  ?
  बाबा  बोले ---- "  तलवार  लोगों  को  मारने - काटने  का  काम  करती  है   जबकि  सुई  सिलने  का  ,  चीजों  को  जोड़ने  का काम  करती  है  l  तोड़ना  आसान   है   और  जोड़ना  कठिन  l   विनम्रता  से  व्यक्ति  उन  सभी  को  जीत  लेता है   जिन्हें  वह  अहंकारवश   नहीं  जीत   सकता  l  l  "
   राजा  ने   बाबा  की  बात  का  अभिप्राय  समझा  और  उनके  चरणों  में  सिर  झुका  कर  कहा ---- "  बाबा  ! आज  आपने  मेरे  जीवन  की  दिशा  ही  बदल  दी  l  आज  से मैं  जोड़ने  का  काम  करूँगा ,  विनम्रता  से  प्रजा  की  सेवा  करूँगा   l  "   

16 December 2017

WISDOM -----

   दो  मित्र  चर्चा  कर  रहे  थे  l  एक  ने  दूसरे  से  प्रश्न  किया  ---- " पतंगा  और  तितली  ,  दोनों  सुन्दरता  की   ओर  आकर्षित  होते  हैं  ,  पर  पतंगा  इस  प्रयास  में  अपनी  जान  गँवा  बैठता  है   और  तितली  प्रशंसा  की  पात्र  बनती  है  ,  ऐसा  विरोधाभास  क्यों   ? "
  दूसरे  ने  उत्तर  दिया  ---- " मित्र  !  पतंगा  सौन्दर्य  को   हथियाने  की  कोशिश  करता  है  ,  जबकि  तितली   उसे  दूसरों  तक  पहुंचाती  है   l  "   जीवन  की  समृद्धि  और  सफलता     साधनों   और  सुविधाओं  को  बाँटने  में  है  ,  उन  पर  एकांगी  आधिपत्य  में  नहीं   l  

15 December 2017

WISDOM ----- मनुष्यों में सद्विवेक जरुरी है

  ईसा  एक  कहानी  सुनाते  थे ---- "  मुझे  एक  बार  पांच  गधों  पर    गठरियाँ  लादें  एक  सौदागर  मिला  l  मैंने  उससे  पूछा --- " इतना  सारा  वजन  लादे  क्या  ले  जा  रहे  हो  ? "  उसने  कहा --- ' इसमें  ऐसी   चीजें  हैं  जो  इनसान  को  मेरा  गुलाम  बनाती  हैं   l  बड़ी  उपयोगी  हैं  l " '  तो  फिर  इनमे  है  क्या  ? '
    सौदागर  बोला ----- " पहले  गधे  पर  अत्याचार  लदा  है ,  जिसके  खरीदार  हैं ---- सत्ताधारी  l
   दूसरे  गधे  पर  अहंकार  लदा  है  -----  यह  सांसारिक  लोगों  की  पहली  पसंद  है   l
   तीसरे  गधे  पर  ईर्ष्या    को   ----- ज्ञानी - विद्वान  को  ईर्ष्या  पसंद  है   l
   चौथे  गधे  पर  ---- बेईमानी  है ,   यह  व्यापारी  वर्ग  की  पहली  पसंद  है  l
   पांचवें  गधे  पर ----- छल - कपट  है  ---- यह  महिलाओं  को  ज्यादा  ही  पसंद  है   l   तो  हे
   मेरा  नाम  तो  सुना  ही  होगा  --- मैं  शैतान  हूँ  ,  सारी  मानव जाति  भगवान  की  नहीं   मेरी  प्रतीक्षा  करती  है  l  इसलिए  कि  मेरे   व्यापार  में  लाभ  ही  लाभ  है   l  "
  यों  कहकर  वह  सौदागर  चला  गया   l  ईसा  कहते  हैं  -- मैंने  प्रभु  से  प्रार्थना  की  कि   हे  भगवान  !  मानव  जाति  को  सद्विवेक  प्रदान  कर  ,  ताकि  वह  शैतान  के   चंगुल   से  छुटकारा  पा  सकें  l  उन्हें   एहसास  तो  हो  कि  वे  क्या  खरीद  रहे  है  और  उन्हें  चाहिए  क्या   ? 

14 December 2017

WISDOM ----- धर्म पर दृढ़ रह कर हानिकारक रूढ़ियों के बंधन तोड़े

  लोकमान्य  तिलक  सच्चे  धर्म  का  पालन  करने  वाले  थे  l    यद्दपि  आचार - व्यवहार  में  तिलक  महाराज  कट्टर  धार्मिक  माने  जाते  थे  ,  पर  वे  अन्धविश्वासी  नहीं  थे  l  वे  जानबूझकर  किसी  धर्म  संबंधी  नियम  का  उल्लंघन  नहीं  करते  थे   ,  पर  अपने  कर्तव्य पालन  में  दिखावटी  परंपरा  की   बातों    को   बाधक  भी  नहीं  होने  देते  थे  l  जब  अपने  मुक़दमे  और  होमरूल   आन्दोलन  के  लिए  उन्हें   विदेश    यात्रा   की  आवश्यकता  पड़ी   तो  यह  प्रश्न  उठा  कि  बहुसंख्यक  हिन्दू   विदेश  यात्रा  को  शास्त्र अनुसार  वर्जित  मानते  थे  ,  इसलिए  इंग्लैंड  कैसे  जाएँ   ? लोकमान्य  ने  इस  सम्बन्ध  में  काशी  के  पंडितों  से  व्यवस्था   चाही  l  पर  उन  कलियुगी  पंडितों  ने  कहा  कि  हम  विदेश  यात्रा  की  शास्त्रीय  व्यवस्था  दे  सकते  हैं ,  इसके  लिए  पांच  हजार  रूपये  भेंट  देना  होगा  l
  तिलक  महाराज  जो   स्वयं  हिन्दू  शास्त्रों  के  सबसे  बड़े  ज्ञाता  थे  ,  इस  ' धर्म  की  दुकानदारी '  को  देखकर  बड़े   नाराज  हुए   और  उन्होंने  पंडितों  की  बात  को  ठुकरा  दिया  l  वे  स्वेच्छापूर्वक  विदेश  चले  गए   और  वहां  से  वापस  आने  पर   स्वयं  ने  ही  शास्त्र  विधि  के  अनुसार   उसका  प्रायश्चित  कर  लिया  l
  लोकमान्य  तिलक  का  चरित्र  हमको  बतलाता    है  कि   किस  प्रकार  मनुष्य  अपने   धर्म  पर  पूर्णतया   दृढ़  रहकर  भी  हानिकारक  रूढ़ियों  के  बंधनों  को  तोड़  सकता  है   l 

13 December 2017

दो सच्चे और राष्ट्र सेवक मित्र

  नेहरूजी  और  सरदार  पटेल  के  मतभेद  की  यह  कहानी  बड़ी  दिलचस्प  और  शिक्षाप्रद  है   l  सरदार  पटेल  नेहरूजी  से  चौदह  वर्ष  बड़े  थे ,  पर  गांधीजी  के  भाव  को  समझकर   उन्होंने  नेहरूजी  को  प्रधानमंत्री  और  स्वयं  को  उप प्रधानमंत्री  रहना  स्वीकार  किया  l  इन  दोनों  का  यह  सहयोग  भारतीय  इतिहास  में  ही  नहीं  संसार  के  इतिहास  में  भी  महत्वपूर्ण  माना  जा  सकता  है  l 
   श्री  हरिभाऊ  उपाध्याय   का  एक  लेख  है ----- " भारत  के  स्वतंत्र  होने  के  बाद  सरदार ,  नेहरूजी  को  अपना  नेता  मानने  लगे  थे   l  इसके  बदले  नेहरूजी,  सरदार  को  परिवार  का   सबसे  वृद्ध  पुरुष  मानते  थे  l   दोनों  के  मतभेद  के  विषय  में  प्राय:  अफवाहें  फैल  जाती  थीं  किन्तु  सरदार  पटेल  ने  कभी  पानी  को  सिर  से  ऊपर  नहीं  निकलने  दिया  l 
  यदि  कोई   उन  दोनों  में  से  किसी  की  भी  नीति  पर  आक्रमण  करता  तो  उस  आलोचक  को  दोनों  ही  फटकार  देते   l  वे  दोनों  एक  दूसरे  के  कवच  थे   l  वे  विभिन्नता  में  भी  एकता  के  अद्भुत   उदाहरण  थे  l  एक  कांग्रेसी  कार्यकर्त्ता  ने      समझा  जाता  था  जिसे  सरदार  का   विश्वासपात्र  समझा  जाता  था  ,  बतलाया  कि  ,--- " सरदार  ने  अपनी  मृत्युशैया  पर   मुझसे  कहा  था   कि  हमको  नेहरूजी    की  अच्छी  तरह  देखभाल  करनी  चाहिए  , क्योंकि  मेरी   मृत्यु   से  उन्हें  बहुत  दुःख  होगा  l 
  इसी  प्रकार  की  घटना   नेहरूजी  की  भी  है  ---- सरदार  पटेल  अपने  व्यंग्य  के  लिए  प्रसिद्ध  थे   और  एक  दिन  नेहरूजी  भी  उनके  व्यंग्य  के  शिकार  हो  गए  l  उस  समय  उपस्थित  एक  मित्र  ने  इसका  जिक्र  नेहरूजी  से  कर  दिया  ,  तो  नेहरूजी  ने  उत्तर  दिया ---- " इसमें  क्या  बात  है  ?  आखिर  एक  बुजुर्ग  के  रूप  में   उनको  हमारी  हँसी  उड़ाने  का  पूर्ण  अधिकार  है  l  वे  हमारी  चौकसी  करने  वाले  हैं  l "  नेहरूजी  के  उत्तर  से  लाजवाब  होकर   वे  सज्जन  शीघ्र  ही  वहां  से  चले  गए  l 

12 December 2017

WISDOM -- विचारों की शक्ति ---संसार की महान घटनाएँ महान विचारों के कारण ही संभव हुई हैं l

  ' महान  विचार  ही  महान  परिस्थितियों  को  उत्पन्न  करते  हैं   और  अपनाने  वाले  को  महान  बनाते  हैं  l  संसार  की  महान  घटनाएँ    महान   विचारों  के  कारण  ही  संभव  हुई  हैं  l  उन्ही  ने  समय  को  बदला  है  और   उपयुक्त  वातावरण  बनाया  है  l 
  जोमो    केन्याता  ने  1928  में  किकयु  भाषा  का  पहला  पत्र   निकाला,  इसके  संपादक , प्रकाशक , मुद्रक  सभी  कुछ  वही    थे  l  पत्र  का  उद्देश्य  था ---- स्वतंत्रता  प्राप्ति  के  लिए  जन जागरण   l  विचार  इतने  सशक्त  और  विश्लेषण पूर्ण  थे  कि  अंग्रेज  नागरिक  भी  उसे  नियमित  पढ़ने  लगे  l  कर्तव्यों  और   अधिकारों  के  प्रति  सचेष्ट  करने  के  लिए  वे  घर - घर  गए  l  प्रत्येक  को  समझाने  की  कोशिश  की  , तुम  मनुष्य  हो , मनुष्य  की  तरह  से  रहो  l  इस  तरह  विचारों  में  परिवर्तन  से  जन  चेतना  जाग्रत  हुई   और  12  दिसंबर  1963  को  उनके  राष्ट्र  को  आजादी  मिली   l 

11 December 2017

WISDOM ------- देश - प्रेम , देश - भक्ति

   घटना  वर्षों  पुरानी  है  ----- वैशाली   महानगरी  दुल्हन  की  तरह  सजी  थी  ,  राज्य महोत्सव  था ,  राजा- प्रजा  सब  संगीत  और  नृत्य  के  आनंद  में   डूबता  जा  रहे  थे  l  अचानक  महल  में  लगे  विशाल  घंटे  की  निरंतर  बजने   की  आवाज  ने  सभी  का  ध्यान  भंग  कर  दिया   l  निरंतर बजने  का  अर्थ  था  कि  शत्रु  ने  देश  पर  आक्रमण  कर  दिया  l  नृत्य  थम  गया  और  युद्ध  की  रणभेरी  वातावरण  में  गूंजने  लगी  l  शत्रु  की  विशाल  सेना  थी    और  वैशाली  के  सैनिकों  की  कोई  पूर्व  तैयारी  नहीं  थी  ,  इस  कारण   उनके  पैर  उखड़ने  लगे  l  राजा  को  बंदी  बना  लिया  गया  l  बाल - वृद्ध ,  नर  नारियों  की  हत्या  एवं   लूटपाट  से  वातावरण  चीत्कार  कर  कर  उठा   l 
  नगर नायक  महायायन  कभी  अपनी  शूरवीरता  के  लिए  विख्यात  थे  लेकिन  अब  वो  वृद्ध  थे  , उनका  अपना  शरीर  भी  साथ  नहीं  दे  रहा  था  l  लेकिन  अपनी  आँखों  के  सामने  यह  अत्याचार  असहनीय  था  l  वह  वृद्ध  नायक   शत्रु  सेनाध्यक्ष  से  मिलने  चल  पड़े  l   शत्रु  को  सामने  देखते  ही  बोल  पड़े ---- "  इन  मासूमों  पर  अत्याचार  बंद  करो  l "
  शत्रु  सेनानायक  को  न  जाने  क्या  सूझी ,  उसने   वैशाली  के  नगर नायक  महायायन   के  सामने  एक  विचित्र  शर्त   रखी  कि ---- तुम  जितनी  देर  सामने  बह  रही  नदी   में  डूबे  रहोगे  ,  हमारी  सेना  लूटपाट  एवं  हत्या   बंद  रखेगी   l  शर्त  स्वीकार  कर  अविलम्ब  वृद्ध  महायायन   नदी  में  कूद पड़े   l  वचनबद्ध  शत्रु  सेना  नायक  ने   अपनी  सेना  को  तब  तक  लूटपाट  बंद  रखने  को   कहा   जब  तक  कि  वृद्ध  का  सिर  पानी  से  बाहर  दिखाई न  पड़े   l  विशाल  सेना  खड़ी  महायायन   का  सिर  पानी  के  बाहर   निकलने  की  प्रतीक्षा   में  ,    लेकिन  प्रात:  से  दोपहर ,  दोपहर  से  शाम  हो  गई   ,  आखिर  सेनानायक  ने   गोताखोरों  को  वृद्ध  का  पता  लगाने  के  लिए  कहा  l  लम्बी  खोजबीन  के   बाद   महायायन   का  मृत  शरीर  चट्टान  से   लिपटा    पाया  गया   l  उसने  दोनों  हाथों  से  चट्टान  को  मजबूती  से  पकड़े  ही  दम  तोड़  दिया  था  l  इस  अनुपम  त्याग  और  बलिदान   को  देखकर  शत्रु  सेनानायक  का   ह्रदय  द्रवित  हो  गया   l 
  मानवता  के  इस  वृद्ध  पुजारी  के  समक्ष  अपनी  हार  स्वीकार  करते  हुए  उसने  सेना  को  वापस  लौटने  का  आदेश  दे  दिया  l 

10 December 2017

WISDOM ----- चरित्रवान व्यक्ति के लिए समाज का हित प्रधान रहता है, इसको पूरा करने के लिए वे अपने अस्तित्व तक का परित्याग कर देते हैं

 सामान्य  अर्थों  में  चरित्रवान  उन्ही  को  कहा  जाता  है  जिनकी  व्यक्तिगत  जीवन  में   कर्तव्य परायणता , सत्यनिष्ठा ,      पारिवारिक  जीवन  में  सद्भाव , स्नेह   और       सामाजिक  जीवन  में  शिष्टता ,  नागरिकता   आदि  आदर्शों  के  प्रति  निष्ठा  है   l     किसी  भी  देश , समाज  अथवा  समुदाय  का  भाग्य    ऐसे  ही  चरित्रवान , व्यक्तित्ववान     विभूतियों  पर  टिका  रहता  है  l
   पेरिस  में  हुई  राज्य क्रांति  के  समय  की   घटना  है ---  तब  क्रान्तिकारी  जेलों  में  ठूंसे  जा  चुके  थे  l  विपक्षी  सैनिकों  ने  कैदखाने  में  घुसकर   इन्हें  शाक- भाजी  की  तरह  काटना  शुरू  कर  दिया  l  इन  सैनिकों  ने  एक  बंदी  को  पहचाना ,  जिसका  नाम  था -- आंवी सिफार्ड  l  यह  एक  पादरी  था  l  सैनिकों  ने  सहज  श्रद्धावश  उसे  निकल  जाने  को  कहा  l  सिफार्ड  ने  अनुरोध  किया  कि  यदि  तुम  लोग  मेरे  बदले  उस  तरुण  महिला  को  जाने  दो  ,  जो  गर्भवती  है   तो  मुझे  मर कर  भी  प्रसन्नता  होगी  l  माना कि  हम  लोगों  ने  नियम  भंग  किया  ,  पर  गर्भ  में  पल   रहा  मासूम  तो  निर्दोष  है  , उसे  उसकी  निर्दोषता  का  पुरस्कार  मिलना  चाहिए  l   पादरी  की  करुणा  व  दयाद्र्ता  ने  -- आंवी सिफार्ड  नाम  को  इतिहास  में  अमर  कर  दिया  l
 चारित्रिक  गुणों  से  व्यक्ति  प्रमाणिक  हो  जाता  है  ,  चरित्रवान  व्यक्ति  की  प्रमाणिकता  हर    किसी  के  लिए  विश्वसनीय  होती  है  l ------  अमेरिका  ने  वाशिंगटन  के  नेतृत्व   में  स्वतंत्रता  प्राप्त  की  थी  l  कुछ  समय  तक  शासन  सम्हालने  के  बाद   वह  राजनीति  से  विरत  होकर  सामान्य  जीवन  व्यतीत  करने  लगे  l   इसी  समय  अमेरिका  और  फ्रांस  में  युद्ध  छिड़ा  l  इस  विषम  बेला  में  लोगों  ने  एक  बार  फिर  वाशिंगटन  को  याद  किया  l  अपने  कार्यकाल  में  उन्होंने  कर्तव्य निष्ठा,  सूझ- बूझ  और  चारित्रिक  गुणों  की  ऐसी  धाक  जमा  ली  थी  कि  तत्कालीन  प्रेसिडेंट  मि. एडम्स  ने  उन्हें  देश  की  बागडोर  सम्हालने  को  कहा   l  एक  प्रमुझ  नेता  ने   अपने  अनुरोध  भरे   पत्र    में  लिखा ----- "  अमेरिका  की  सारी  जनता  आप  पर  विश्वास  करती  है  l  यूरोप  में  एक  भी  राज्य सिंहासन  ऐसा  नहीं  है   जो  आपके  चरित्र बल   के  सामने  टिक  सके   l  "
स्वामी  विवेकानन्द  ने  एक  स्थान  पर  कहा  है --- ' संसार  का  इतिहास  उन  मुट्ठीभर   व्यक्तियों  का  बनाया  हुआ  है  जिनके  पास  चरित्रबल  का  उत्कृष्ट  भण्डार  था  l  यों  तो  कई  योद्धा , विजेता  हुए  हैं  , बड़े - बड़े  चक्रवर्ती  सम्राट  हुए  हैं  l  इतने  पर  भी  इतिहास  ने  उन्ही  व्यक्तियों  को  अपने  ह्रदय  में  स्थान  दिया  है   जिनका  व्यक्तित्व  समाज  के  लिए  एक  प्रकाश स्तम्भ  का  कार्य   कर  सका  है   l '
    आज  स्थिति  विकट  है   l  आज  नेता  बहुत  हैं ,  इनसान  कम  हैं   l  पहले  के  नेताओं  का  एक  व्यक्तित्व   था ---- राममनोहर  लोहिया , सरदार वल्लभभाई  पटेल ,  मौलाना  आजाद ,  आचार्य   नरेन्द्रदेव  जैसे  एक  से  एक  बड़े  व्यक्तित्व  l    आचार्य    नरेन्द्रदेव  बौद्ध   दर्शन  के  प्रकांड  पंडित  थे  l  समाज  में   उनकी  प्रतिष्ठा   थी  l  वे  जहाँ   से   खड़े  होते  ,  जीत  जाते  l    लेकिन  एक  चुनाव  में   गोरखपुर  से  खड़े  हो  गए ,  लोकसभा  के  लिए  l   दूसरे  पक्ष    ने  बाबा  राघवदास  को  उनके  खिलाफ  खड़ा  कर  दिया  l  वे    महात्मा  थे ,  अकेले  अपरिग्रही  , संन्यासी  l   बाबा  में  देवत्व  की  सघनता  ज्यादा  थी ,  उनके  पास  निष्काम  कर्म  की ,  नि:स्वार्थ  सेवा  की  पूंजी  थी  l   बाबा  राघवदास  ने  तुलसीदास जी  की  इस  चौपाई  को   अंग्रेज  शासकों  के  खिलाफ  हथियार  बनाया ------
    जासु  राज  प्रिय  प्रजा  दुखारी  l  सो   नृपु   अवसि  नरक  अधिकारी  l  
बाबा    का  देवत्व  ,   पारदर्शिता ,   उनकी  साख   के  चलते  आचार्य  नरेन्द्रदेव  की  जमानत  जब्त  हो  गई l  

9 December 2017

WISDOM ------ भगवान के भक्त को कोई कष्ट दे , इसे ईश्वर कभी सहन नहीं करते

  बात  उन  दिनों  की  है  जब  महात्मा  विजयकृष्ण  गोस्वामी  वृन्दावन  में  बांकेबिहारी  के  मंदिर  में  रहते  थे  l  वह  समय  था  जब  आधे  पैसे  का  भी  कुछ  मिल  जाता  था  l  उन्होंने  अपने  शिष्य  से  कहा -   ---      " जाओ , आधे  पैसे  के  पेडे  ले  आओ  l  भले  ही  आधा  पेड़ा   ले  आओ ,  पर  लेकर  आना  l " दुकानदार  बड़े - बड़े  सौदे  कर  रहा  था  ,  उसने  शिष्य  का  अधेला  उठाकर  नाली  में  फेंक  दिया  l  शिष्य  ने  धैर्य पूर्वक  सिक्का  उठाया ,  उसे  धोया   और  फिर  उसे  देते  हुए  बड़ी  विनम्रता  से  कहा --- " हमें  नहीं  खाना  है , गुरु  महाराज  ने  मंगाया   है ,  दे  दो  भाई  l "  दुकानदार  ने  फिर  फेंक  दिया  l 
शिष्य  ने   फिर  उठाया , धोया  और  कहा --- " प्रसाद  के  लिए  मंगाया  है , दे  दो  l "   ऐसा  दस  बार  हुआ  l  मालिक  ने  नौकर  से  कहा ---- " इसे  पीटकर  भगा  दो  l "   शिष्य  गोस्वामीजी  के  पास  गया  और  बोला --- "  नहीं  दिया  l बार - बार  अधेला  फेंकता   ही  रहा  l "
 गोस्वामीजी  बोले ---- " तुमने  गाली  क्यों  नही  दी  ?  उसका  स्वभाव  गाली  सुनकर  काम  करने  का  है  l  तुम्हे  मालूम  है  कि  तुम्हारे  धैर्य  के  कारण  देवत्व  वहां  इतना   बढ़ा  कि  उसकी  दुकान  में आग  लग  गई   l  तुम  भला - बुरा  कह  देते   तो  आग  नहीं  लगती   l  भगवान  अपने  शिष्यों  का  भला - बुरा  कभी  सहन  नहीं  करते   l  इसीलिए  उसे  दंड  मिला  l "  इसी  बीच  दुकानदार  दौड़ा - दौड़ा   पेडे  के  पैकेट  लिए  आया  l  बोला ---- ' महाराज  !   आपके   चेले  का  हमसे  अपमान  हो  गया  l  हमारी  पूरी  दुकान  जल   गई  l  "
 यह  है  शुभ  कर्मों  की  तीव्रता  का परिणाम   l
  

8 December 2017

WISDOM ----- धन की वृद्धि के साथ द्रष्टिकोण का परिष्कार अनिवार्य है

  यदि  लोगों  का  द्रष्टिकोण  परिष्कृत  न  हुआ ,  लोगों  में  सह्रदयता  न  हुई  , संवेदना  विकसित  न  हुई    तो  ऐसा  धन  और  बुद्धि   खुशहाली  नहीं  बढ़ाएगी ,  बल्कि  विनाश  खड़ा  कर  देगी  l 
  एक  बार  ब्रिटिश  संसद  में   वेतन  बढ़ाने  की  मांग  को  लेकर   दार्शनिकों  की  राय  जानने  के  लिए    पार्लियामेंट  में  कुछ  विशेषज्ञों  को  बुलाया  गया  l  उनमे  एक  दार्शनिक  थे ---- जाँन   स्टुअर्ट  मिल  l   उन्होंने  कहा   ----- " मैं  वेतन  बढाने  के   सख्त  खिलाफ  हूँ  ,  मजदूरों  का  वेतन   नहीं  बढ़ाया  जाये   l "
 उन्होंने  अपनी  गवाही  में  कहा ---- ' जो  वेतन  बढाया   जा  रहा  है .  उसकी  तुलना  में   उनके  लिए   स्कूलों   का  प्रबंध  किया  जाये  ,  उनकी  शिक्षा  व  स्वास्थ्य  का  प्रबंध  किया  जाये  l  जब  वे  सभ्य  और  सुसंस्कृत  हो  जाएँ   तभी  धन  की  वृद्धि  की  जाये   अन्यथा  पैसों  की  वृद्धि  करने  से   मुसीबत  आ  जाएगी  और  ये  मजदूर  तबाह  हो  जायेंगे  l  "  उनकी  सलाह  पर  ध्यान  न  देकर   सभी  ने  एक  मत  से  मजदूरों  का  वेतन  डेढ़  गुना   बढ़ा    दिया   l
  तीन  साल  बाद  जब  इन्क्वायरी  हुई    कि    डेढ़  गुना  वेतन   जो  बढाया  गया  था   उसका  क्या  फायदा  हुआ  ?   मालूम  पड़ा  कि  मजदूरों  की  बस्तियों  में  जो  शिकायतें  थीं  , वे  पहले  से  दोगुनी  हो  गईं  l  खून खराबा   पहले  से  बढ़  गया , शराबखाने  पहले  की  अपेक्षा  दुगुने  हो  गए  l   वेश्यालयों  की  संख्या  पहले  कि  अपेक्षा   दुगुनी - चौगुनी  हो  गई ,  सुजाक  आदि  गुप्त  रोग  पहले  की  अपेक्षा  बहुत  बढ़  गए  l
   जाँन  स्टुअर्ट  मिल  की   सलाह   सही  थी   कि  लोगों  का  द्रष्टिकोण ,  लोगों  का  चिंतन  परिष्कृत  होना  चाहिए  ,  लोगों  का  ईमान  बढ़ना  चाहिए   तभी  वह  बढ़े  हुए  धन  का  सदुपयोग  करेगा   अन्यथा   गरीबी  से  ज्यादा  अमीरी  महँगी  पड़  सकती  है ,  दुनिया  में  तबाही  ला  सकती  है   l 
  यही  स्थिति  आजकल  है  l  जितनी  पैनी  अक्ल  होगी  , उतने  ही  तीखे  विनाश  के  साधन  होंगे  l 
संवेदनहीन , ह्रदयहीन  व्यक्ति  के  पास  जितना  धन  होगा  , जितनी  ताकत  होगी   , वह   उतना  ही  सर्वनाश  करेगा   l 

6 December 2017

WISDOM ----- साख ( CREDIT ) का बड़ा महत्व होता है l

 ' साख '  को  बड़ी  मेहनत  से  कमाया  जाता  है  l जिसकी  साख  होती  है ,  उसका  कभी  अहित  नहीं  होता  है  l   महात्मा  गाँधी  के  लिए  अंग्रेजों  ने  ढेरों  षडयंत्र  किये ,  लेकिन  कभी  सफल  नहीं  हो  पाए  l
   उन  दिनों  इलाहाबाद  से  एक  पत्रिका  निकलती  थी  '  चाँद '  l   भगतसिंह  की  शहादत  के  बाद  उसका   एक  फाँसी  अंक  निकला  l  इससे  पत्रिका  की  संख्या  25  से  30  हजार  हो  गई  l  उस  समय ( 1932-33 )  के  हिसाब  से  यह  एक  बहुत  बड़ी  संख्या  थी  l
   उसी  के  बाद  के  अंक  में   ' चाँद '  ने   गांधीजी  के  खिलाफ   एक  कड़ी  टिपण्णी  लिख  दी  l  इससे  उनके  प्रति  भर्त्सना  और  अपमानजनक  व्यवहार  प्रकट  हो  रहा  था  l  गांधीजी  ने  कुछ  प्रत्युत्तर  नहीं  दिया  l   एक  अंक  में   दो   पंक्तियों    की  एक  छोटी  सी  टिपण्णी   उसके  प्रतिवाद  में   गांधीजी  ने  ' हरिजन '  पत्रिका  में  लिख  दी  l   परिणाम  यह   हुआ  कि  ' चाँद ' पत्रिका  बंद  हो  गई  l  उसके  ग्राहकों  ने   लेना  ही  बंद  नहीं  किया  ,  बल्कि  आक्रोश  इतना  उभरा  कि  पत्रिकाएं  लौटा  दीं ,  जबकि  गांधीजी  की  टिपण्णी  व्यक्तिगत  नहीं ,  सैद्धांतिक  थी  l   यह  है  किसी  महामानव  की  साख  का  कमाल  ! 

5 December 2017

WISDOM -----

  नौशेरवां  बादशाह  था  l  ऐशोआराम  की  जिन्दगी , ढेरों  गुलाम  l  एक  दिन  गुलाम  ने  बादशाह  का  बिस्तर  ठीक  किया  ,  चादरें  व्यवस्थित  कीं  l  पर  वह  इतना  थका  हुआ  था  कि  वहीँ  गिर  गया  बिस्तर  पर  ,  नींद  लग  गई  l  बादशाह  आया  l  उसने  हंटर  से  गुलाम  को  मारा  l पहले  तो  गुलाम  कष्ट  के  कारण  रोया  l  फिर  हँसा  l  इतना  हँसा ,  लगा  कि  पागल  हो  गया   l   बादशाह  ने  टोका  तो  बोला ---- "  मैं  तो  थोड़ी   देर  सोया   तो  मेरा  यह  हाल  है  l  आप  रात  भर  सोते  हैं  ,  तो  उस  परवरदिगार  के  यहाँ  आपका  क्या  हाल  होगा  ,  यही  सोचकर  हँस  रहा  था   l  '    बादशाह  फिर  सो  न  सका  l   गुलाम    की   बात  ने  उसके   मन - मस्तिष्क  में  हलचल  मचा  दी  l  वह   सारे  सुख - उपभोग  और  सत्ता  के  अधिकारों   से  मुक्त  हो  कर   हो  गया   l  एक  क्षण  का  विवेक  जीवन  को  बदल  देता  है  l 

4 December 2017

WISDOM ----

 जाँन डी.  रॉकफेलर   व्यापार  प्रबंधन  के  एक   शैक्षणिक  संस्थान  में  गए  l वहां  विद्दार्थियों  को  व्यापर , व्यवसाय  के  सम्बन्ध  में  पढ़ाया  जा  रहा  था  l  उन्होंने  एक  छात्र  से  पूछा  कि  ---- बताओ  प्रोमिसरी   नोट   कैसे  लिखा  जाता  है  l   छात्र  ने  ब्लैक बोर्ड  पर  लिखा ---- मैं  इस  संस्थान  को  दस  हजार  डालर  देने  का  वादा  करता  हूँ   और  उसके  नीचे  लिख  दिया --- हस्ताक्षर , जाँन  डी. रॉकफेलर  l  रॉकफेलर  ने  उस  छात्र  की   कुशाग्रता  से  प्रभावित  होकर  उस  राशि  का  चेक  तुरंत  काट  के  दे  दिया  l 

3 December 2017

WISDOM ----- गरीब - अमीर का अंतर

   राष्ट्रपिता   महात्मा  गाँधी  ने  कहा  था ----- '  अहिंसात्मक  स्वराज्य  की  कुंजी  आर्थिक  समानता  है  l  हमारा  उद्देश्य   देश  के  मुट्ठीभर  धन - कुबेरों  को  नीचे  लाना   और  करोड़ों   भूखे  - नंगों  को  ऊपर  उठाना  है  l  स्वतंत्र  भारत  में   जबकि  सबको  समान  अधिकार  है  ,   भव्य  भवनों  और  गरीब  मजदूरों  की   झोंपड़ियों  का  अन्तरएक  दिन  भी  नहीं  चल  सकेगा   l   अगर  जनहित  के  लिए   स्वेच्छा पूर्वक   उस  वैभव ,  उस  अधिकार  का  त्याग  नहीं  किया  गया  तो   निश्चय  ही  एक  दिन   भयंकर  हिंसात्मक   क्रान्ति  होकर   रहेगी   l  "

2 December 2017

WISDOM ---- सभी समस्याओं का एकमात्र हल -- ' सद्बुद्धि '

 ' जब - जब  मनुष्य  पर  बेअकली  सवार  होती  है   तो  वह  जाति , सम्प्रदाय , रंग , रूप ,  भाषा   और  धर्म  के  आधार  पर   विभाजित  होता  चला  जाता  है   और  अपनी  शांति  व  खुशहाली  को  नष्ट  करता  रहता  हैl
        एक  देश    का  बंटवारा  हुआ   l  विभाजन  रेखा  एक  पागलखाने  के  बीच  में  से  होकर  गुजरी  l  तो  अधिकारियों  को  बड़ी  चिंता  हुई  कि  अब   क्या    किया  जाये  l  दोनों  देश  के  अधिकारियों  में  से   कोई    भी   पागलों  को  अपने  देश   लेने  को  तैयार  न  था  l   अधिकारी   इस  बात  पर  सहमत  हुए  कि  पागलों  से  ही  पूछा  जाये   कि  वे  किस  देश  में  रहना  चाहते  हैं   l  अधिकारियों  ने  पागलों  से  कहा ---- "देश    का  बंटवारा   हो  गया  है ,  `आप  इस  देश  में  रहना   चाहते  हैं   या  उस  देश  में  जाना   चाहते  हैं  ? "  पागलों  ने  कहा ----- " हम  गरीबों  का  पागलखाना  क्यों   बांटा  जा  रहा  है  ? हम  में  आपस  में  कोई   मतभेद  नहीं  ,  हम  सब  आपस  में  मिलकर  रहते  हैं  ,  इसमें  आपको  क्या  आपत्ति  है  ? "
अधिकारियों  ने  कहा ---- " आपको  जाना  कहीं  नहीं  है  l  रहना  यहीं  है  l  आप  तो  यह  बताएं  कि  आप   इस  देश  में  रहना  चाहते  हैं  या  उस  देश  में  l  "
  पागल  बोले ----- "  यह  भी  क्या   अजीब  पागलपन  है  l  जब  हमें  जाना  कहीं  नहीं  है  तो   इस  देश  या  उस  देश  से  क्या  मतलब   l "
  अधिकारी  बड़ी  उलझन  में  पड़  गए  ,  उन्होंने  सोचा  व्यर्थ  की  माथापच्ची  से  क्या  लाभ  ?  और  उन्होंने  विभाजन  रेखा  पर   पागलखाने  के    बीचोंबीच   दीवार  खड़ी  कर  दी  l  कभी - कभी  पागल  उस  दीवार  पर  चढ़  जाते  और  एक  दूसरे  से  कहते  --- ' देखा  समझदारों  ने  देश  का  विभाजन  कर  दिया  l  न  तुम  कहीं  गए  न  हम  l  व्यर्थ  में   हमारा  - तुम्हारा    मिलना - जुलना ,  हँसना - बोलना   बंद  कर  के  इन्हें  क्या  मिल  गया  l  एक  पागल  बोला ----' इन्होने  देश  का  नहीं  दिलों  का  बंटवारा   किया  है  l  

1 December 2017

गुजरात के गौरव ----- रविशंकर महाराज

   गुजरात  के  गौरव  रविशंकर  महाराज  ने   अनेक  डाकुओं  के  दिलों  में   घुसकर    उनका  ह्रदय  परिवर्तन   किया   l  जब  भारत  में  गाँधी  की  आंधी  आई  तो  रविशंकर  जी  भी  उससे  प्रभावित  हुए   l  गाँव - गाँव  घूमकर   उन्होंने  लोगों  से  चोरी , डकैती  का  दुर्गुण  छुड़वाकर  उन्हें  सत्याग्रही  सैनिक  बनाया  l  अनेक  व्यक्तियों  से  तम्बाकू  व  शराब  जैसे  दुर्गुण   छुड़वाए  l  गुजरात  की  पाटनवाणी  जाति  अपने  दुर्व्यसनों  और  अपराध  वृति  के  कारण  बदनाम  थी  l  रविशंकर  महाराज  इसी  अपराधी  - जगत  के  पुरोहित  थे   l  ऐसी  अपराधी  जाति  में   रविशंकर  महाराज  ने  सद्गुणों  का  संचार  कर   पुरोहित  के  सच्चे  कर्तव्य  और  उसके  महत्व  की  स्थापना  की  l
  उन्होंने  अपने  प्रयत्न     सरकार  कि  मदद  से  अपराधियों  के  बच्चों  के  लिए  पाठशालाएं  चलायीं ,  उनके  आजीविका  हेतु    अनेक  उद्दोग - धन्धे  की  स्थापना  की  और  उसमे  स्वयं  अध्यापन  कर   लोगों  में     सत्प्रवृतियों  का   जागरण  किया  l