15 March 2015

भारतीय विद्दा के साधक------ सर-जान वुडराफ

संस्कृत  के  तंत्रशास्त्र  विषयक  अथाह  व  अनमोल  लेखन  के  कारण  सर-जान  वुडराफ  का  नाम  श्रद्धापूर्वक  स्मरण  किया  जाता  है  ।  बंगाल  के  एडवोकेट  जनरल  सर  जेम्स  वुडराफ  के  घर   15 दिसम्बर 1865 को  उत्पन्न  हुए  सर-जान  वुडराफ  की  शिक्षा  इंग्लैंड  में  संपन्न  हुई  । वे  बैरिस्टर  बनकर  भारत  आये  और  कलकत्ता  उच्च न्यायालय  में  वकालत  करने  लगे  |  1902  में  वे  भारत  सरकार  के  विधि  सलाहकार,  1904  में  कलकात्ता  उच्च न्यायालय  के  न्यायधीश  और  1915  में  वहीँ  के  मुख्य    न्यायधीश   बनाये  गये ।  उनका  मन  भारतीय  प्राच्य  विद्दा  के  ग्रन्थों  के  अध्ययन  में  रमता  था  ।
अपने    व्यवसाय से  बचा  हुआ   सारा  समय  वे  भारतीय  धर्म, दर्शन, अध्यात्म  और  तन्त्र-मन्त्र  साहित्य  के  अध्ययन  में  लगाते  थे  ।   उन्होंने   भारतीय  तन्त्र  शास्त्र   की   महत्ता  और  उनमे  वर्णित  तथ्यों  पर  महत्वपूर्ण  टीकाओं  से  परिपूर्ण  लेख  लिखने   आरम्भ  किये  ।  सर-जान वुडराफ  ने  तन्त्रशास्त्र  पर  20-21 ग्रन्थ  लिखे  |  ' इंट्रोडक्शन   टू  तन्त्र शास्त्र '    प्रिंसिपल्स  ऑफ़ तन्त्र ,    द वर्ल्ड  एज  पावर ,  तथा   महामाया   आदि  उनके  लिखे  शास्त्रीय  विवेचना युक्त  आलोचनात्मक   ग्रन्थ   हैं  । ' द  सर्पेंट  पावर ' में   उन्होंने  कुण्डलिनी  शक्ति   और  उसके  जागरण  के  संबंध  में  महत्वपूर्ण  जानकारी  दी   |  मन्त्र  विद्दा   पर   लिखा  गया  उनका  ग्रन्थ  ' द  गार्लेंड  ऑफ  लेटर्स ' अत्याधिक  महत्वपूर्ण  माना  जाता है  ।
उन्होंने  तन्त्र  व  मन्त्र  विद्दा  पर  जिस  गहराई  और  मनोयोग  से  अध्ययन , मनन , चिंतन  और  लेखन  किया  वह  विश्व  के  साहित्य  में  अपना  एक  महत्वपूर्ण  स्थान  रखता  है  ।उनकी   इस  साधना  ने   तन्त्र  और  मन्त्र  विद्दा  पर  पड़े  रहस्य  का  अनावरण  करने  में  पर्याप्त  सफलता  प्राप्त  की  । उनका  जीवन , तंत्र  विद्दा  जैसे  गूढ़  विषय  पर  उनका  समय -दान  इतिहास  में   चिरस्मरणीय   है  ।  

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