एक बार फकीर जुन्नैद के पास एक युवक रोते हुए गया और बोला-- " मैं मरना चाहता हूँ । मैं अत्यंत निर्धन और निराश हूँ, मेरे पास कुछ भी तो नहीं है । " फकीर थोड़ी देर चुप रहे फिर बोले---" ऐसा क्यों कहते हो, तुम्हारे पास तो बहुत बड़ा खजाना है । चलो मेरे साथ बादशाह के पास । बादशाह बहुत समझदार है, छिपे खजाने पर उसकी गहरी नजर रही है । "
युवक की समझ में कुछ न आया, हैरान होते हुए कहने लगा--- आखिर मुझे भी तो पता चले कि मेरे पास कौन सा खजाना है ।
फकीर ने कहा--- " तुम्हारी आँखे, तुम्हारा ह्रदय, मस्तिष्क, इनमे से किसी एक के भी हजार दीनार मिल सकते हैं । " युवक हैरान हुआ और कहने लगा-- " मैंने सुना था फकीर जुन्नैद एक आला दरजे के आलिम हैं, उनके पास रूहानी ताकत है, पर आप तो पागल हैं । भला कोई अपना ह्रदय, मस्तिष्क भी बेचना चाहेगा । " फकीर हँसने लगा और बोला-- " मैं पागल हूँ या तू ? जब तेरे पास इतनी बेशकीमती चीजें हैं जिन्हें तू लाखों में भी नहीं बेच सकता, तो झूठ-मूठ का गरीब क्यों बना हुआ है, अपने इस खजाने का उपयोग कर । परमात्मा खजाने देता है लेकिन उन्हें खोजना और खोदना स्वयं ही पड़ता है । जीवन से बड़ी कोई संपदा नहीं है । जो उसमे ही संपदा नहीं देखता, वह संपदा को और कहाँ पा सकता है ?
फकीर युवक से कहने लगे-- अब घर जाओ और सुबह एक दूसरे व्यक्ति की भांति उठो ।
जीवन वैसा ही है जैसा हम उसे बनाते हैं । मृत्यु तो अपने आप आ जायेगी , जीवन को अमृत बनाओ, अपने तप से, शक्ति से, संकल्प से जीवन को सफल बनाओ ।
युवक की समझ में कुछ न आया, हैरान होते हुए कहने लगा--- आखिर मुझे भी तो पता चले कि मेरे पास कौन सा खजाना है ।
फकीर ने कहा--- " तुम्हारी आँखे, तुम्हारा ह्रदय, मस्तिष्क, इनमे से किसी एक के भी हजार दीनार मिल सकते हैं । " युवक हैरान हुआ और कहने लगा-- " मैंने सुना था फकीर जुन्नैद एक आला दरजे के आलिम हैं, उनके पास रूहानी ताकत है, पर आप तो पागल हैं । भला कोई अपना ह्रदय, मस्तिष्क भी बेचना चाहेगा । " फकीर हँसने लगा और बोला-- " मैं पागल हूँ या तू ? जब तेरे पास इतनी बेशकीमती चीजें हैं जिन्हें तू लाखों में भी नहीं बेच सकता, तो झूठ-मूठ का गरीब क्यों बना हुआ है, अपने इस खजाने का उपयोग कर । परमात्मा खजाने देता है लेकिन उन्हें खोजना और खोदना स्वयं ही पड़ता है । जीवन से बड़ी कोई संपदा नहीं है । जो उसमे ही संपदा नहीं देखता, वह संपदा को और कहाँ पा सकता है ?
फकीर युवक से कहने लगे-- अब घर जाओ और सुबह एक दूसरे व्यक्ति की भांति उठो ।
जीवन वैसा ही है जैसा हम उसे बनाते हैं । मृत्यु तो अपने आप आ जायेगी , जीवन को अमृत बनाओ, अपने तप से, शक्ति से, संकल्प से जीवन को सफल बनाओ ।