ज्ञान संस्कृति का जन्मदाता होता है |
ज्ञान का अर्जन दुर्लभ है, परंतु उसका समुचित उपयोग अति दुर्लभ एवं दुष्कर है | प्रतिभा की, कला की, कुशलता की, विद्दा-ज्ञान-शक्ति व सामर्थ्य की इस स्रष्टि में कोई कमी नहीं है | अनेकों ने अनेक तरीकों से इनका अर्जन किया है किंतु यदि सारा ज्ञान, समूची सामर्थ्य उनके अहंकार की तुष्टि, उनके लिये भोग-विलास के साधन जुटाने में खप रही है तो यह असुरता है, ऐसा ज्ञान विनाशक है | हमें ज्ञान का सदुपयोग कर ज्ञान की शक्तियों का प्रकाश फैलाना है, शिक्षा, कला एवं विद्दा के सभी आयामों को दैवी एवं दिव्य बनाना है |
ज्ञान का सच्चा, सही , समुचित एवं सम्यक उपयोग सेवा है | सद्ज्ञान की सार्थकता संवेदनशील व्यक्तित्व गढ़ने में है और व्यक्तित्व संवेदनशील बन सका, इसका परिचय और प्रमाण इस बात में मिलता है कि वह सेवा क्षेत्र में सक्रिय हो सका अथवा नहीं | जहाँ पीड़ा एवं पतन के निवारण के लिये सम्यक प्रयास किये जाते हैं, वहीँ पर सेवा का समग्र स्वरुप प्रकट होता है |
ज्ञान का अर्जन दुर्लभ है, परंतु उसका समुचित उपयोग अति दुर्लभ एवं दुष्कर है | प्रतिभा की, कला की, कुशलता की, विद्दा-ज्ञान-शक्ति व सामर्थ्य की इस स्रष्टि में कोई कमी नहीं है | अनेकों ने अनेक तरीकों से इनका अर्जन किया है किंतु यदि सारा ज्ञान, समूची सामर्थ्य उनके अहंकार की तुष्टि, उनके लिये भोग-विलास के साधन जुटाने में खप रही है तो यह असुरता है, ऐसा ज्ञान विनाशक है | हमें ज्ञान का सदुपयोग कर ज्ञान की शक्तियों का प्रकाश फैलाना है, शिक्षा, कला एवं विद्दा के सभी आयामों को दैवी एवं दिव्य बनाना है |
ज्ञान का सच्चा, सही , समुचित एवं सम्यक उपयोग सेवा है | सद्ज्ञान की सार्थकता संवेदनशील व्यक्तित्व गढ़ने में है और व्यक्तित्व संवेदनशील बन सका, इसका परिचय और प्रमाण इस बात में मिलता है कि वह सेवा क्षेत्र में सक्रिय हो सका अथवा नहीं | जहाँ पीड़ा एवं पतन के निवारण के लिये सम्यक प्रयास किये जाते हैं, वहीँ पर सेवा का समग्र स्वरुप प्रकट होता है |