' प्रतिभा का अर्थ है -- अंतर्दृष्टि संपन्न दूरदर्शी विवेकशीलता , जो जीवन की सभी समस्याओं का सार्थक हल ढूंढने में सक्षम है | '
बौद्धिक प्रतिभा ( I . Q . ) को सामान्य रूप से स्वार्थ एवं अहं की तुष्टि व पुष्टि के लिये उपयोग किया जाता है | बौद्धिक प्रतिभा जीवन का एक पक्ष व पहलू है , केंद्रबिंदु नहीं |
आध्यात्मिक प्रतिभा जीवन का मूल और मौलिक बिंदु है | आध्यात्मिक प्रतिभा कहती है -- हर कर्म के पीछे कारण है | वह मूल कारण को तलाशती एवं तराशती है तथा श्रेष्ठता व उत्कृष्टता का नया पथ प्रशस्त करती है |
आध्यात्मिक प्रतिभा का आधार है -- पवित्रता व रूपांतरण है | पवित्रता उदारता व सहनशीलता से निखरती है | पवित्रता से रूपांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है | रूपांतरण परिवर्तन नहीं है | रूपांतरण है -- दूध से दही का बनना | आध्यात्मिक प्रतिभा में ( I . Q . ) के साथ भावनाओं , संवेदनाओं का बराबर एवं महत्वपूर्ण स्थान है | आध्यात्मिक प्रतिभा भावनाओं में पवित्रता बिखेरती और उसे रूपांतरित कर देती है |
आध्यात्मिक प्रतिभा के संस्पर्श से बुद्धि प्रज्ञा एवं ऋतंभरा स्तर तक पहुँच जाती है | आध्यात्मिक प्रतिभा से बुद्धि अत्यंत सूक्ष्म एवं व्यापक हो जाती है | कभी न दीखने वाले पक्ष एवं न जानने वाले तथ्य को भी देखने - जानने लगती है |
आध्यात्मिक प्रतिभा से जीवन का विकास संपूर्ण एवं समग्र रूप से होता है | यह विकास जीवन के साथ परिवार को तथा परिवार को समाज , राष्ट्र , विश्व एवं ब्रह्मांड से जोड़ता है |
आध्यात्मिक प्रतिभा को उभारने की साधना अपने ही अंदर छिपी हुई है | हमें अपने अंदर खोजना , खरादना चाहिये , अपने अवगुणों , अपनी कमियों को निरंतर दूर करने का प्रयास करना चाहिये , ताकि आध्यात्मिक प्रतिभा की जाग्रति हो सके और हम समग्र रूप से विकसित हो सकेँ | आध्यात्मिक प्रतिभा जीवन के साथ युग की आवश्यकता है |
बौद्धिक प्रतिभा ( I . Q . ) को सामान्य रूप से स्वार्थ एवं अहं की तुष्टि व पुष्टि के लिये उपयोग किया जाता है | बौद्धिक प्रतिभा जीवन का एक पक्ष व पहलू है , केंद्रबिंदु नहीं |
आध्यात्मिक प्रतिभा जीवन का मूल और मौलिक बिंदु है | आध्यात्मिक प्रतिभा कहती है -- हर कर्म के पीछे कारण है | वह मूल कारण को तलाशती एवं तराशती है तथा श्रेष्ठता व उत्कृष्टता का नया पथ प्रशस्त करती है |
आध्यात्मिक प्रतिभा का आधार है -- पवित्रता व रूपांतरण है | पवित्रता उदारता व सहनशीलता से निखरती है | पवित्रता से रूपांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है | रूपांतरण परिवर्तन नहीं है | रूपांतरण है -- दूध से दही का बनना | आध्यात्मिक प्रतिभा में ( I . Q . ) के साथ भावनाओं , संवेदनाओं का बराबर एवं महत्वपूर्ण स्थान है | आध्यात्मिक प्रतिभा भावनाओं में पवित्रता बिखेरती और उसे रूपांतरित कर देती है |
आध्यात्मिक प्रतिभा के संस्पर्श से बुद्धि प्रज्ञा एवं ऋतंभरा स्तर तक पहुँच जाती है | आध्यात्मिक प्रतिभा से बुद्धि अत्यंत सूक्ष्म एवं व्यापक हो जाती है | कभी न दीखने वाले पक्ष एवं न जानने वाले तथ्य को भी देखने - जानने लगती है |
आध्यात्मिक प्रतिभा से जीवन का विकास संपूर्ण एवं समग्र रूप से होता है | यह विकास जीवन के साथ परिवार को तथा परिवार को समाज , राष्ट्र , विश्व एवं ब्रह्मांड से जोड़ता है |
आध्यात्मिक प्रतिभा को उभारने की साधना अपने ही अंदर छिपी हुई है | हमें अपने अंदर खोजना , खरादना चाहिये , अपने अवगुणों , अपनी कमियों को निरंतर दूर करने का प्रयास करना चाहिये , ताकि आध्यात्मिक प्रतिभा की जाग्रति हो सके और हम समग्र रूप से विकसित हो सकेँ | आध्यात्मिक प्रतिभा जीवन के साथ युग की आवश्यकता है |