बुद्धि जीवनयापन के लिये साधन एकत्रित कर सकती है , गुत्थियों को सुलझा सकती है , किंतु जीवन की उच्चतर भूमिका में नहीं पहुँचा सकती | चेतना की उच्चस्तरीय परतों तक पहुँच सकना तो ह्रदय की महानता द्वारा ही संभव है | बुद्धिप्रधान , किंतु ह्रदयशून्य व्यक्ति भौतिक जीवन में कितना भी
सफल क्यों न हो , किंतु भवसागर की चेतन परतों तक पहुँच सकने में , वह असमर्थ होता है |
ह्रदय की पवित्रता शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है | शक्ति आती ही ह्रदय से है , शरीर या बुद्धि से नहीं | इस तथ्य को सदा स्मरण रखना चाहिए कि कोई दूसरा हमें शक्ति नहीं देता , वरन अपना अंतराल ही इसका मूल है |
शक्ति का वही स्वरुप प्रशंसनीय है जो सद्गुण , शील , पवित्रता , परोपकार की प्रेरणा तथा मानव-मात्र के प्रति करुणा व प्रेम से युक्त हो |
सफल क्यों न हो , किंतु भवसागर की चेतन परतों तक पहुँच सकने में , वह असमर्थ होता है |
ह्रदय की पवित्रता शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है | शक्ति आती ही ह्रदय से है , शरीर या बुद्धि से नहीं | इस तथ्य को सदा स्मरण रखना चाहिए कि कोई दूसरा हमें शक्ति नहीं देता , वरन अपना अंतराल ही इसका मूल है |
शक्ति का वही स्वरुप प्रशंसनीय है जो सद्गुण , शील , पवित्रता , परोपकार की प्रेरणा तथा मानव-मात्र के प्रति करुणा व प्रेम से युक्त हो |