' मनस्वी पर्वत के समान ऊँचे , सागर के समान गंभीर होते हैं , उनका पार पाना आसान काम नहीं है रक्षा बंधन का पुनीत पर्व । बीकानेर नरेश का दरबार लगा हुआ था । राजद्वार पर ब्राह्मणों की लंबी कतार थी । उन्ही ब्राह्मणों के मध्य मालवीय जी एक नारियल लिये खड़े थे । शनै: शनै: कतार छोटी होती जा रही थी । प्रत्येक ब्राहमण , नरेश के पास जाकर राखी बाँधता और दक्षिणा में एक रूपया प्राप्त कर खुशी -खुशी घर लौटता जा रहा था ।
मालवीय जी का नंबर आया , तो वे नरेश के समक्ष पहुँचे । राखी बाँधी , नारियल भेंट किया और संस्कृत में स्वरचित आशीर्वाद दिया । नरेश के मन में इस विद्वान ब्राह्मण का परिचय जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई । जब उन्हें मालुम हुआ कि ये पंडित मदन मोहन मालवीय जी हैं तो वे बहुत प्रसन्न हुए और मन -ही -मन अपने भाग्य को सराहने लगे । मालवीय जी ने विश्व -विद्दालय की रसीद उनके सामने रख दी । उन्होंने भी तत्काल एक सहस्त्र मुद्रा लिख कर हस्ताक्षर कर दिये । नरेश अच्छी तरह जानते थे कि मालवीय जी द्वारा संचित किया हुआ सारा धन विश्व -विद्दालय के निर्माण कार्यों में ही व्यय होने वाला है ।
मालवीय जी ने विश्व -विद्दालय की समूची रुपरेखा नरेश के सम्मुख रखी । उस पर संभावित व्यय तथा समाज को होने वाला लाभ भी बताया , तो नरेश मुग्ध हो गये और सोचने लगे इतने बड़े कार्य में एक सहस्त्र मुद्रा में क्या होने वाला है । उन्होंने पूर्व लिखित राशि पर दो शून्य और बढ़ा दिये , साथ ही कोषाध्यक्ष को एक लाख मुद्राएँ देने का आदेश प्रदान किया ।
मालवीय जी का नंबर आया , तो वे नरेश के समक्ष पहुँचे । राखी बाँधी , नारियल भेंट किया और संस्कृत में स्वरचित आशीर्वाद दिया । नरेश के मन में इस विद्वान ब्राह्मण का परिचय जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई । जब उन्हें मालुम हुआ कि ये पंडित मदन मोहन मालवीय जी हैं तो वे बहुत प्रसन्न हुए और मन -ही -मन अपने भाग्य को सराहने लगे । मालवीय जी ने विश्व -विद्दालय की रसीद उनके सामने रख दी । उन्होंने भी तत्काल एक सहस्त्र मुद्रा लिख कर हस्ताक्षर कर दिये । नरेश अच्छी तरह जानते थे कि मालवीय जी द्वारा संचित किया हुआ सारा धन विश्व -विद्दालय के निर्माण कार्यों में ही व्यय होने वाला है ।
मालवीय जी ने विश्व -विद्दालय की समूची रुपरेखा नरेश के सम्मुख रखी । उस पर संभावित व्यय तथा समाज को होने वाला लाभ भी बताया , तो नरेश मुग्ध हो गये और सोचने लगे इतने बड़े कार्य में एक सहस्त्र मुद्रा में क्या होने वाला है । उन्होंने पूर्व लिखित राशि पर दो शून्य और बढ़ा दिये , साथ ही कोषाध्यक्ष को एक लाख मुद्राएँ देने का आदेश प्रदान किया ।