गायत्री मंत्र में ' भर्गो ' पद बताता है कि मनुष्य को निष्पाप बनना चाहिये । पापों से सावधान रहना चाहिये । पापों के दुष्परिणाम को देखकर उनसे दूर रहे एवं उनको नष्ट करने के लिये निरंतर संघर्ष करे ।
बुराइयों का , अज्ञान , अंधकार का नाश करने वाली परमात्मा की शक्ति ' भर्ग ' कहलाती है । इस शक्ति की हमें उतनी ही आवश्यकता है , जितनी वरेण्य की । हमें श्रेष्ठता को देखना है , परंतु बुराइयों की ओर से आँखों को बंद नहीं कर लेना है ।
जो प्रकाश द्वारा जगत के बाह्य तथा आंतरिक अंधकार को नष्ट करता है , वह भर्ग है । ।
बुराइयों का , अज्ञान , अंधकार का नाश करने वाली परमात्मा की शक्ति ' भर्ग ' कहलाती है । इस शक्ति की हमें उतनी ही आवश्यकता है , जितनी वरेण्य की । हमें श्रेष्ठता को देखना है , परंतु बुराइयों की ओर से आँखों को बंद नहीं कर लेना है ।
जो प्रकाश द्वारा जगत के बाह्य तथा आंतरिक अंधकार को नष्ट करता है , वह भर्ग है । ।