13 July 2013

JEALOUSY - The jealous man poisons his own banquet , and then eats it .

'ईर्ष्या दूसरे के संबंध में सोचती और पड़ौसी के चूल्हे से आग ला कर अपना छप्पर जलाती है |
   दो बुढियां पड़ोस में रहती थीं | एक थी उदार और दूसरी ईर्ष्यालु | दोनों ने लंबे समय तक तप किया ,देवता प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा --
उदार बुढ़िया ने मांगा -"मुझे जो कुछ भी आप दें ,उससे दोगुना पड़ोसियों को अवश्य दें | "उसके सभी पड़ोसी संपन्न हो गये ,उसका अहसान मानते और सम्मान देते रहे |
ईर्ष्यालु बुढ़िया ने मांगा-" मेरे शरीर के जो दो अंग हैं ,उनमे से एक -एक नष्ट हो जाये साथ ही पड़ोसियों के दोनों नष्ट हो जायें | -"
ईर्ष्यालु ने अपना एक हाथ ,एक पैर ,एक कान ,एक आँख नष्ट करा दी ,परिणाम स्वरुप पड़ोसियों के दोनों हाथ ,दोनों पैर ,दोनों कान ,दोनों आँखे नष्ट हो गईं | वह स्वयं तो दुखी रही ,साथ ही पड़ोसियों को भारी विपति में फँसा दिया |
उदारता और ईर्ष्या के ऐसे ही परिणाम होते हैं | 

SELF EXAMINATION

दूसरों में जो बुराइयां हमें दीखा करती हैं ,वे प्राय:हमारे ही ह्रदय के बुरे -भले भावों का प्रतिबिम्ब मात्र होती हैं | यदि हमारे अंदर बुरे तत्व अधिक हैं तो हमें सामने वाले की बुराइयां पहले और अधिक दिखाई देंगी | यदि हम में अच्छे तत्व अधिक हैं तो अच्छाईयां ही दिखाई देंगी |
      औरों की बुराइयां देखने के लिये ललचाने वाले बहुत हैं परंतु अपनी ओर देखने का अभ्यास बहुत कम लोगों को होता है | बहुत कम लोग मौत के पहले अपने आपको पहचान पाते हैं | महापुरुषों का जीवन निहारें तो पायेंगे कि वे हमेशा आत्म निरीक्षण करते रहे ,उनकी हर भूल उन्हें कुछ नया सुधार करने की सीख देती रही |
      यदि आप में भी महान बनने की चाहत उठे तो दूसरों को तुच्छ समझने की ,उनमे बुराइयां ढूंढने की नजर का परित्याग कर दीजिये | दूसरों को तुच्छ समझने वाला मनुष्यत्व खो देता है | औरों की गलतियां  खोजने की अपेक्षा अपनी कमियां ढूंढे और उन्हें दूर करने के लिये प्राण -पण से जुट जायें |

 अपनी शक्तियों को पहचानने और उनका सदुपयोग करने में ही मनुष्य जीवन की शान है | '

वर्तमान यदि कठिनाइयों से घिरा हुआ भी है तो ये विपतियाँ हमारे लिये वरदान हैं | मानव व्यक्तित्व कुछ ऐसा ही है ,जब तक विपतियों का आक्रमण न हो ,इसकी विभूतियों की चमक तीव्र नहीं हो पाती | चंदन की और अधिक घिसाई का अर्थ है --सुगंध का प्रति पल नया विस्तार |
अत:आत्म निरीक्षण के द्वारा अपने आप की गरिमा को पहचानिये ,कौन जाने कल के उज्जवल भविष्य में आप संसार के महान कलाकार बन जायें ,भावी समाज आपको महान विभूति के रूप में पा कर कृतकार्य हो |