26 June 2013

WISDOM

'अंदर से अच्छा बनना ही वास्तव में कुछ बनना है | मनुष्य जीवन की बाह्य बनावट उसे कब तक साथ देगी ?जो कपड़े अथवा जो साधन यौवन में सुंदर लगते हैं ,यौवन ढलने पर वे ही उपहासास्पद दीखने लगते हैं |
मनुष्य को जीवन का श्रंगार ऐसे उपादानो से करना चाहिये ताकि आदि से अंत तक सुंदर और आकर्षक बने रहें  
         मनुष्य जीवन का अक्षय श्रंगार है --आंतरिक विकास | ह्रदय की पवित्रता एक ऐसा प्रसाधन है जो मनुष्य को बाहर -भीतर से एक ऐसी सुंदरता से ओत -प्रोत कर देता है जिसका आकर्षण न केवल जीवन पर्यन्त अपितु जन्म -जन्मांतरों तक सर्वदा एक सा बना रहता है |

 जीवन ही प्रत्यक्ष देवता है | उसकी साधना करने से हाथों हाथ सत्परिणाम की प्राप्ति होती है | 

GATHER THISTLES AND EXPECT PICKLES

'सामर्थ्य बढ़ने के साथ ही मनुष्य के दायित्व भी बढ़ते हैं | ज्ञानी पुरुष बढ़ती सामर्थ्य का उपयोग पीड़ितों के कष्ट हरने एवं भटकी मानवता को दिशा दिखाने में करते हैं और अज्ञानी उसी सामर्थ्य का उपयोग अहंकार के पोषण और दूसरों के अपमान के लिये करते हैं | '
          जय और विजय भगवान विष्णु के द्वारपाल थे | उन्हेंअपने  पद का अभिमान हो गया | एक दिन उसी अहंकार के कारण उन्होंने ऋषियों --सनक ,सनंदन ,सनातन और सनत्कुमार का अपमान कर दिया | परिणाम स्वरुप उन्हें असुर होने का शाप मिला और तीन कल्पों में --हिरण्याक्ष -हिरण्यकश्यप ,रावण -कुंभकरण ,और शिशुपाल -दुर्योधन के रूप में जन्म लेना पड़ा |
          पद जितना बड़ा होता है ,सामर्थ्य उतनी ही ज्यादा और दायित्व उतने ही गंभीर |
ऐसा ही अपमान किसी साधारण द्वारपाल ने किया होता तो इतने परिणाम में दंड न चुकाना पड़ता |
सामर्थ्य का गरिमापूर्ण एवं न्यायसंगत निर्वाह ही श्रेष्ठ मार्ग है |  

LIFE MANAGEMENT

'जीवन एक कला है और इसे आनंद पूर्वक जीना चाहिये | आधुनिकतम सर्वेक्षण के आंकड़ों का अवलोकन करने पर यह अविश्वसनीय तथ्य प्रकट होता है कि अपने विषय के विशेषज्ञ ,विद्वान ,प्रतिभावानों का निजी जीवन विखंडित एवं विभाजित है | उन्हें अपनी सामान्य सी जिंदगी कोचलाने  के लिये नशा ,शराब जैसे मादक द्रव्यों का सहारा लेना पड़ता है |
      इसका कारण यही है कि हमने जीवन में 'अपने जीवन 'के अलावा और सभी को महत्व दिया | इसका परिणाम यह है कि सब कुछ सुधरा लेकिन 'अपना जीवन '(निजी जीवन)जो अति महत्वपूर्ण है ,अनसुलझा ,अछूता रह गया | 
       सम्रद्धि मिली ,भौतिक विकास खूब हुआ ,पर जीवन छूट गया ,संवेदना सूख गई ,आंतरिक जीवन खंडहर -सा सन्नाटा भरा खोखला सा रह गया |
   जीवन जीना एक तकनीक है ,कला है | जो इसे जानता है वही कलाकार ,प्रतिभावान है | अपनी क्षमता की पहचान ,सुंदर सुघड़ व्यक्तित्व का निर्माण एवं सामर्थ्य का सुनियोजन इसका प्रमुख सूत्र है ।
   आवश्यकता है ऐसी आधुनिक वास्तुकला की ,जो घरों को ही नहीं ,हमारे विचारो ,कल्पनाओं ,इच्छाओं भावनाओं और संवेदनाओं को तराशे जिससे ---
         देह को आकर्षक घर मिले ,
         विचारों को सुंदर मन मिले
और मन को संवेदनाओं की शीतल छाँह मिले |
इसी से आंतरिक जीवन का घरौंदा सुंदर व आकर्षक बन सकता है |
   बाहरी जीवन की सुंदरता के साथ आंतरिक सौंदर्य भी महत्वपूर्ण है