22 June 2013

TRANSFORMATION

'मनुष्य का उद्देश्य ऊँचा हो और संकल्प दृढ हो तो किसी भी परिस्थिति से उबर सकता है | कलिंग विजय के बाद अशोक सम्राट तो बन गया ,पर उतनी ही मात्रा में उसे पीड़ित लोगों की घ्रणा और धिक्कार का सामना भी करना पड़ा | युद्ध के आर्तनाद ने उसके अंदर की करुणा और मानवता को जिंदा कर दिया | भगवान बुद्ध का अनुयायी बनकर वह सतपथ पर अग्रसर हुआ और आज अपने श्रेष्ठ कार्यों के याद किया जाता है |
   न्याय और धर्म का पथ कठिनतो है ,पर आंतरिक संतुष्टि और भावनात्मक तृप्ति के अधिकारी इसी पथ के पथिक बनते हैं |

         'पाप का प्रायश्चित कभी पाप से नहीं हो सकता | सचमुच ही प्रायश्चित करना है तो लोक सेवा का कार्य करो ,जीवों को सुख पहुँचाओ परमार्थ के काम करो | '

INTELLIGENCE

'मनुष्य का गौरव इस बात में है कि वह नेक राह पर चले और अपने पीछे ऐसी परंपरा छोड़ जाये जिसका अनुकरण करते हुए पीछे आने वाले लोग अपना रास्ता खोज सकें | हिम्मत और बहादुरी की खरी पहचान यह है कि वह कठिनाइयों और प्रलोभनों के बीच जरा भी विचलित न हो | जिसने इनसानियत के आदर्शों को छोड़ दिया ,उसके पास बचा ही क्या ?'
       छोटी सी गौरैया और बड़े गिद्ध में प्रतियोगिता तय हुई | निश्चय हुआ कि जो सबसे ऊँचे तक पहुँचेगा वही जीतेगा | गौरैया फुर्र -फुर्र करती हुई ऊपर उठने लगी तो उसे दो कीड़े दिखाई पड़े ,जो गिरते हुए नीचे आ रहे थे | उसने उन दोनों को भी साथ ले लिया और धीरे -धीरे ऊपर जाने लगी | इतनी देर में गिद्ध बहुत ऊँचा जा चुका था ,पर तभी उसे सड़ी लाश दिखाई पड़ी और वह प्रतियोगिता भूलकर लाश खाने जा बैठा |  
गौरैया प्रतियोगिता जीत गई |
  दूर से यह घटना देखते एक संत बोले -"ऊँचे उठे फिर न गिरे ,यही मनुज को कर्म |
                                                          औरन ले ऊपर उठे ,इससे बड़ो न धर्म | "
सत्य यही है कि ऊँचाई तक जाकर पतन होने के पीछे मनुष्य के कुकर्म ही जिम्मेदार होते हैं और जो शांति से धर्म पथ पर चलते हैं ,वे ही ऊँचाइयों को छू पाने में सफल होते हैं |