11 June 2013

PEARL

'निज अस्तित्व की चिंता छोड़कर समाज के कल्याण के लिये जो अग्रसर होते हैं ,वे बन जाते हैं -जन -मानस के मोती | '
          विनोबा भावे अपनी भूदान यात्रा के दौरान दक्षिण भारत में पेनुगोड़ें कुट्टी से मिले | वे अपने गुणों के कारण दक्षिण के विनोबा के नाम से प्रख्यात हुए | हमेशा दूसरों की सेवा के लिये तत्पर कुट्टी जी के दोनों हाथ पक्षाघात के आक्रमण के कारण खराब हो गये | लोगों ने उनसे सहानुभूति दरसाई | वे बोले -"जहाँ भावनाओं से परिपूर्ण ह्रदय ,सक्रिय सतेज मस्तिष्क हो ,सुद्रढ़ -भार उठाने वाले पैर हों ,वहां क्या कठिनाई है !"
लोगों ने पूछा कि इनसे कैसे सहायता करेंगे ?उनने कहा -"जितनी आवश्यकता आज मनुष्यों को मानसिक सहायता की है ,उतनी और किसी की नहीं | "उनने पद यात्रा आरंभ की | पूरा कर्नाटक ,तमिलनाडु उनने दस वर्षों में पैदल घूम डाला | तमाम तरह की समस्याओं को वे हँसते हुए सुलझा देते | निरंतर सत्साहित्य का वे स्वाध्याय करते | सभी के चिंतन में विधेयात्मकता का समावेश करते | लोगों को लोगों के द्वारा ही आर्थिक सहायता करवा देते ,विद्दालयों के लिये धन एकत्र करा देते | विनोबा ने कुट्टी जी को चलता फिरता विश्वविद्दालय कहा था | 

FRIEND

'सच्चा मित्र हीरे के समान बहुमूल्य है ,भले ही वह संख्या में कम हों | झूठे मित्र तो सड़े पत्तों की तरह दुर्गंध फैलाते और जगह घेरते हैं ,भले ही वे संख्या में बहुत हैं | "
       एक भला खरगोश था | सभी पशुओं की सहायता करता और मीठा बोलता था | जंगल के सभी जानवर उसके मित्र हो गये | एक बार खरगोश बीमार पड़ा | उसने आड़े समय के लिये कुछ चारा दाना अपनी झाड़ी में जमा कर रखा था | सहानुभूति प्रदर्शन के लिये जिसने सुना ,वही दौड़ा आया और आते ही संचित चारे दाने में मुँह मारना शुरू किया | एक ही दिन में उस सबका सफाया हो गया | खरगोश अच्छा तो हो गया ,पर कमजोरी में चारा ढूंढने न जा सका और भूख से मर गया |
       उथली मित्रता और कुपात्रों की सहानुभूति सदा हानिकारक ही सिद्ध होती है | दुर्घटना का समाचार सुनकर दौड़े आने वाले सहानुभूति प्रदर्शनकर्ता प्राय:यही करते हैं |  

POWER

'पशु द्वन्द युद्ध से अपनी बलिष्ठता सिद्ध करते हैं और मनुष्य साहस और विवेक के आधार पर | '
 इस संसार में कुल तीन शक्तियां हैं जिन पर हमारा सारा जीवन व्यापर चल रहा है |
1. पहली शक्ति है -श्रम -इससे हमें धन और यश मिलता है | जितनी भी सफलताओं का इतिहास है ,वह मनुष्य के श्रम की उपलब्धियों का इतिहास है |
2. दूसरी शक्ति है -ज्ञान की ,विचार करने की शक्ति | हमें जो भीप्रसन्नता मिलती इसी ज्ञान की शक्ति से मिलती है | जब हमारा मस्तिष्क संतुलित होता है तो हर परिस्थिति में हमें चारों ओर प्रसन्न्ता ही प्रसन्नता दिखाई देती | जीवन का आनंद सदैव भीतर से आताहै | यदि हमारे सोचने का तरीका सही हो तो बाहर जो भी क्रिया कलाप चल रहे हैं ,उन सभी में हमको ख़ुशी ही ख़ुशी बिखरी दिखाई पड़ेगी | दाराशिकोह मस्ती में डूबते चले गये | जेबुनिस्सा ने पूछा -"अब्बा जान !आपको क्या हुआ आज | आप तो पहले कभी शराब नहीं पीते थे ,फिर यह मस्ती कैसी "?वे बोले आज मैं हिन्दुओं के उपनिषद पढ़कर आया हूँ ,जमीन पर पैर नहीं पड़ रहे हैं | जीवन का असली आनंद उनमे भरा पड़ा है |
3. तीसरी शक्ति है -रूहानी -आदमी का व्यक्तित्व |आदमी की कीमत है उसका व्यक्तित्व ,ऐसे व्यक्ति दुनियां की फिजां को बदलते हैं ,देवताओंको अनुदान बरसाने के  लिये मजबूर करते हैं | व्यक्तित्व श्रद्धा से बनता है | श्रद्धा अर्थात  सिद्धांतों व आदर्शों के प्रति अटूट व अगाध विश्वास | व्यक्तित्व ऐसा वजनदार बन जाता है कि देवता तक नियंत्रण में आ जाते हैं |