7 June 2013

THE PATH TO VICTORY

ईसा ने लोगों से कहा था -"जो बीज तुम बोते हो वह गले बिना नहीं उगता | भौतिक रूप से तुम गलोगे तो आध्यात्मिक रूप से ऊँचे उठोगे | "
बीज की तीन ही गति हैं --1. या तो वह बीज बनकर गले और अपने को सुविकसित पौधे के रूप में परिणत कर अपने जैसे अनेक बीज पैदा करे |
2. या पिसकर आटा बन जाये फिर रोटी के रूप में प्राणी का पेट भरे और अंत में दुर्गन्धित विष्ठा बनकर किसी आड़ में उपेक्षित पड़ा रहे |
3. या भीरुता और संकीर्णता से ग्रसित आत्म रक्षा की बात सोचता रहे और कीड़े -मकोड़ों अथवा सीलन -सड़न द्वारा नष्ट कर दिया जाये |
            मनुष्य जीवन की भी यही तीन गतियाँ हैं --
1. परमार्थ -प्रयोजन में अपने को संलग्न कर यशस्वी जीवन जिये और संसार की सुख -शांति में योगदान करे 2. अपने शरीर और परिवार पर ध्यान केन्द्रित कर ,पेट और प्रजनन की समस्याओं में उलझा रहे | उचित -अनुचित का विचार न कर पशु स्तर की जिंदगी गुजारे और अंतत:विष्ठा जैसी घिनौनी परिणति प्राप्त करे |
3. तीसरी गति अति कृपणता ,अति संकीर्णता और अति स्वार्थ बुद्धि की है | उस स्तर के लोग न परमार्थ सोचते और न स्वार्थ |
                 मनुष्य जीवन की सार्थकता और मानवी बुद्धि की प्रशंसा इस बात में है कि वह प्रथम गति का वरण करे और परमार्थ का श्रेष्ठ मार्ग का अवलम्बन करे |