1 June 2013

BELIEF

'ईश्वर पर विश्वास करने वालों की श्रद्धा ही वह स्थिति पैदा करती है ,जिसके प्रभाव से कठोर ह्रदय व्यक्ति भी द्रवित हो उठता है | '
     कुछ सदियों पहले जब नादिरशाह ने हिंदुस्तान पर हमला किया ,उस समय दिल्ली से कुछ दूर ग्रामीण इलाके में सूफी फकीर सलीम दरवेश अपनी आत्म -साधना में लीन थे | निरंतर तप करते हुए गाँव के लोगों में श्रद्धा और सद्विचार का संचार ,यही उनका नित्य का क्रम था | नादिरशाह के हमले की खबर ,उसकी क्रूरता के कारनामे इन भोले -भाले ग्रामीण जनों तक पहुंचे और उनमे घबराहट फैल गई कि अब क्या होगा ?
             वे सब मिल -जुलकर फकीर की झोंपड़ी पर पहुंचे | उनमे एक युवा शायर भी था | उसने दरद भरी लरजती आवाज में कहा -
               अंधेरी रात तूफाने तलातुम नाखुदा गाफिल
                यह आलम है तो फिर किश्ती ,सरे मौजरवां कब तक ?
अँधेरी रात ,खतरनाक तूफान और नाखुदा के रूप में हिंदुस्तान का बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला ,जो हमेशा शराब में डूबा रहता है ,तो फिर हमारी कश्ती का भविष्य क्या !यह सुनकर फकीर कुछ देर चुप रहे फिर बोले --
                  अच्छा  यकीं  नहीं है  तो  उसे  कश्ती  डुबोने  दे ,
                   एक  वही  नाखुदा  नहीं  बुजदिल ! खुदा  भी  है |
 और इतिहास गवाह है ,उस फकीर की श्रद्धा काम आई | खुदा के इस नेक बंदे के समझाने पर नादिरशाह कत्लोगारद छोड़ कर वापस लौट गया |