24 May 2013

COMPASSION

तेप्सुगन दोको कनाई युग के प्रसिद्ध झेन संत हुए हैं | तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण कर ली और जन जन तक भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को पहुँचाने का बीड़ा उठाया शीघ्र ही उन्हें यह भान हो गया कि समाज के हर वर्ग तक बौद्ध धर्म पहुँचाने हेतु धर्म सूत्रों का प्रकाशन स्थानीय भाषा में करना होगा |

दस वर्ष के अबाध परिश्रम के बाद ग्रंथ के प्रकाशन हेतु पूंजी एकत्र हो पाई | प्रकाशन का कार्य आरम्भ ही हुआ था कि ऊजी नदी में भयंकर बाढ़ आ गई हजारों बेघर हो गये | दया व प्रेम की मूर्ति संत तेप्सुगन ने सारा धन जरुरतमंदो में बाँट दिया और पुन:देशाटन पर निकल पड़े | कई वर्षों के प्रयास और धन संग्रह के बाद प्रकाशन प्रारंभ हुआ | उस वर्ष जापान को महामारी ने आ घेरा | तेप्सुगन ने एकत्रित धन पुन:पीड़ितों में बाँट दिया |
           कहते हैं उसके बाद उन्हें बीस वर्ष और लगे | अपनी मृत्यु से एक वर्ष पूर्व संत तेप्सुगन ने जनसामान्य के लिये बोध सूत्रों का प्रथम जापानी संस्करण उपलब्ध कराया ,जो आज भी ओबाकु विश्वविद्दालय में सुरक्षित है | वर्ष 1681 में प्रकाशित इस ग्रंथ की साठ हजार (6 0 0 0 0 )प्रतियाँ उपलब्ध हैं ,जो संत तेप्सुगन के संकल्प ,करुणा और समर्पण की कहानी कहती हैं |