11 May 2013

BHAKTI

भावनाओं में भक्ति का स्थान ऊँचा है | उसका सहारा लेकर मनुष्य नर से नारायण बन सकता है | श्रद्धा का व्यवहारिक स्वरूप भक्ति है |
तानसेन सम्राट अकबर के दरबारी गायक थे | एक बार अकबर तानसेन के गुरु हरिदासजी से मिले और उनके गायन को सुनकर मुग्ध हो गये | अकबर ने तानसेन से कहा -"गाते तो आप भी अच्छा हैं ,पर आपके गुरु के गायन में जो रस है ,उसकी प्रशंसा हो सकती | "
तानसेन ने कहा -"मेरे गुरु भगवान को प्रसन्न करने के लिये गाते हैं और मै आपको प्रसन्न करने के लिये | जो अंतर ईश्वर और आप में है ,वही अंतर मेरे और गुरु के गायन में है "|