9 May 2013

CALAMITY

महान विचारक रूसो से किसी ने एक बार पूछा -"आपने किस स्कूल में शिक्षा प्राप्त की ?"स्कूल के तो कभी दर्शन नहीं किये थे ,परंतु शिक्षा तो अवश्य प्राप्त की थी | किस पाठशाला का नाम लें ?रूसो ने उत्तर दिया -"विपति की पाठशाला में "|
विपति नित्य खुली रहने वाली बहुत बड़ी पाठशाला है | आने वाली विपतियाँ हमें सिखाने के लिये ऐसी महत्वपूर्ण शिक्षायें अपने साथ लेकर आती हैं कि यदि कोई उन्हें सीख सके तो वह अपने जीवन को ,व्यक्तित्व को सफल बना सकता है | अधिकांश लोग विपतियों के आने पर रोने ,घबड़ाने लगते हैं अथवा उनसे पलायन की बात सोचने लगते हैं | विपतियाँ न तो रोने के लिये हैं और न जीवन से पलायन करने के लिये हैं | विपति रूपी स्कूल में सफल होने के लिये कुछ बातें आवश्यक हैं -----
1 -विपतियों के प्रति स्वीकारात्मक द्रष्टिकोण -न तो विपतियों से भागना और न उनसे घबराना | विपतियों को एक परीक्षा ,एक चुनौती मानकर उनमे जीने का साहस किया जाये तो विपतियाँ सचमुच वरदान बन जाती हैं | 'विपदायें ऐसी परीक्षायें हैं जो हमें मजबूत बनाने ,हमारे मनोबल को परखने और हमारे जीवट को जांचने के लिये आती हैं |
2 विवेक बुद्धि को जाग्रत रखना और धीरज बनाये रखना विपति की पाठशाला में सफल होने का दूसरा सूत्र है | विपति आने पर मनोबल बनाये रखते हुए संकट का धैर्य पूर्वक सामना किया जाये | विपतियाँ कुछ समय की हैं और जीवन बहुत लम्बा है |
3 तीसरा सूत्र है -व्यस्त जीवन क्रम और समय का सदुपयोग | खाली समय में ही चिंतायें पैनी बनकर तीर की तरह चुभती हैं | अत:शरीर और मन मस्तिष्क को किसी उपयोगी कार्य में व्यस्त रखा जाये तब उनसे संघर्ष करने का नया मार्ग भी निकाला जा सकेगा | महान विचारक रूसो का प्रारंभिक जीवन बड़ी कठिनाइयों में गुजरा ,उनके माता -पिता शैशव काल में गुजर चुके थे | वे दिन भर मेहनत कर शेष समय पढ़े -लिखे लोगों से अनुनय विनय कर अपने शैक्षणिक विकास में लगाते थे ,समय के सदुपयोग के कारण ही वे महान विचारकों और नई समाज व्यवस्था के मनु पद तक पहुंच सके |

4 विपतियों पर विजय का महत्वपूर्ण सूत्र है -जीवन के उज्जवल पक्ष पर ध्यान केन्द्रित करना | प्रख्यात धनपति हैराल्ड एबोट के जीवन की सारी कमाई किसी संकट के कारण नष्ट हो गई ,उनपर कर्ज चढ़ गया ,जिसे चुकाने के लिये वर्षों परिश्रम की आवश्यकता थी ,मन चिंताओं से भरा था | पराजित व्यक्ति के समान दुखी होकर वे कहीं चले जा रहे थे | सड़क पर एक अपंग व्यक्ति दिखाई दिया ,जिसकी दोनों टांगे कट गईं थीं वह हाथों के सहारे चलता था | उसने हँसते हुए हैराल्ड साहब का स्वागत किया और प्रसन्नता से बोला -कैसा सुहाना प्रभात है ,कहिये अच्छे तो हैं ?इस अपंग व्यक्ति के प्रसन्नचित ,उल्लास और हर्ष ने हैराल्ड एबोट की सभी चिंताओं को मिटाकर रख दिया | वे सोचने लगे जब यह अपंग और लाचार व्यक्ति भी इतना आनंदित है तो इसकी तुलना में मैं बहुत भाग्यशाली हूं |
विपतियाँ चाहें जितनी भयंकर और विकराल हों और भले ही व्यक्ति का सब कुछ छिन जाये परन्तु फिर भी उसके पास कुछ न कुछ ऐसा बचा ही रहता है जिसके आधार पर वह अपने भविष्य को पुन:संवार सकता है |