'काम अधूरे मत छोड़ो | या तो हाथ मत डालो या पूरे करके रहो | थोड़ा करो पर पूरे मन से करो | जो बहुत समेटता है पर उन्हें संभाल नहीं पाता ,वह पछताता और हँसी कराता है | '
यदिआप जीवितों का जीवन जीना चाहते हैं तो जाग्रत रहिए ,अपने हर काम को सावधानी और सतर्कता के साथ कीजिये | जाग्रत मनुष्यों को ही जीवन फल मिलता है |
प्रकाश के अभाव का नाम अंधकार है ,इसी प्रकार जागरूकता का अभाव ही लापरवाही है |
लापरवाही एक मानसिक लकवा है ,जिससे आधा मस्तिष्क लुंज -पुंज हो जाता है | ऐसे मानसिक अपाहिज जीवन के भार को किसी प्रकार गिरते -मरते ढोते रहते हैं | उन्नत और संपन्न जीवन तो उनके लिये आकाश कुसुम की भांति दुर्लभ है | जीवन को धूलि में मिला देने वाला यह रोग ,जब रोगी चाहे जा सकता है | यह रोग ठहरता तभी तक है जब तक रोगी उसका विरोध नहीं करता और अपने में उसे ठहरने देता है ,पर जब वह विरोध करने और हटा देने हेतु उतारू हो जाता है तो फिर उसका ठहरना नहीं हो सकता | मन की उदासीनता रूपी बाधा को हटा दिया जाये तो हर एक व्यक्ति पूर्ण रूप से क्रिया -कुशल ,कर्तव्य -निष्ठ ,परिश्रमी ,कर्म -परायण और सफल मनोरथी हो सकता है |
यदिआप जीवितों का जीवन जीना चाहते हैं तो जाग्रत रहिए ,अपने हर काम को सावधानी और सतर्कता के साथ कीजिये | जाग्रत मनुष्यों को ही जीवन फल मिलता है |
प्रकाश के अभाव का नाम अंधकार है ,इसी प्रकार जागरूकता का अभाव ही लापरवाही है |
लापरवाही एक मानसिक लकवा है ,जिससे आधा मस्तिष्क लुंज -पुंज हो जाता है | ऐसे मानसिक अपाहिज जीवन के भार को किसी प्रकार गिरते -मरते ढोते रहते हैं | उन्नत और संपन्न जीवन तो उनके लिये आकाश कुसुम की भांति दुर्लभ है | जीवन को धूलि में मिला देने वाला यह रोग ,जब रोगी चाहे जा सकता है | यह रोग ठहरता तभी तक है जब तक रोगी उसका विरोध नहीं करता और अपने में उसे ठहरने देता है ,पर जब वह विरोध करने और हटा देने हेतु उतारू हो जाता है तो फिर उसका ठहरना नहीं हो सकता | मन की उदासीनता रूपी बाधा को हटा दिया जाये तो हर एक व्यक्ति पूर्ण रूप से क्रिया -कुशल ,कर्तव्य -निष्ठ ,परिश्रमी ,कर्म -परायण और सफल मनोरथी हो सकता है |