19 April 2013

'धन संबंधी ईमानदारी और कर्तव्य संबंधी जिम्मेदारी का समन्वय किसी व्यक्ति को प्रमाणिक और प्रतिष्ठित बनाता है | '

         
          'जिसने ईमानदारी खो दी ,उसके पास खोने के लिये और कुछ नहीं बचता '| 

SELF - RESPECT

'आत्म -सम्मान का मर्म आत्म -निष्ठ ,ईश्वर परायण एवं सेवामय जीवन शैली में निहित है | 'जीवन में सफलता एवं प्रसन्नता की अनुभूति का आधार आत्म -सम्मान ,आत्म -गौरव की स्वस्थ भावदशा है |
                                  व्यक्ति आत्म -सम्मान के अभाव में सफल तो हो भी सकता है ,बाह्य उपलब्धियों भरा जीवन भी जी सकता है ,किंतु वह अंदर से भी सुखी ,संतुष्ट एवं संतृप्त होगा ,यह संभव नहीं है | आत्म -सम्मान के अभाव में जीवन एक गंभीर अपूर्णता से भरा रहता है ,जो पग -पग पर जीवन में बहुत कुछ होते हुए भी एक गहरी कमी का एहसास देता रहता है और जीवन एक अज्ञात सी पीड़ा ,असुरक्षा एवं अशांति से बेचैन रहता है | आत्म -सम्मान के अभाव में जीवन की बड़ी से बड़ी ,महान से महान सफलता भी मनुष्य जीवन को सार्थकता की अनुभूति नहीं दे पाती | इस युग की यह त्रासदी उन सभी नेताओं ,शिक्षकों ,कलाकारों एवं व्यक्तियों के साथ घटित होते हुए देखी जा सकती है जिन्होंने मनुष्य जाति को बड़े -बड़े अनुदानों से उपकृत किया ,किंतु अपने जीवन में निम्न आत्म -सम्मान से पीड़ित रहे | कुछ लोग इसी कमी के कारण शराबी ,नशा के आदि या दुर्व्यसनों के शिकार हुए हैं ,कोई आत्म हत्या जैसा वीभत्स कदम भी उठा बैठे | इस तरह आत्म सम्मान की कमी जीवन को नीरस ,दुखमय बनाने वाली गंभीर मनोदशा है |
                                            आत्म -सम्मान का बाहरी उपलब्धियों एवं सफलताओं से बहुत अधिक लेना -देना नहीं है ,यह तो स्व -प्रेम एवं स्व -सम्मान की व्यक्तिगत अनुभूति है | यह व्यक्ति का अपनी नजरों में अपना मूल्य है |
                        अपने जीवन को अंतरात्मा द्वारा निर्धारित उच्चतम मानदंडों पर जीने का प्रयास करें | अपनी अंतरात्मा की आवाज का अनुसरण करें ,अपने सत्य के साथ किसी तरह का समझौता न करें | देह की वासना ,मन की तृष्णा और अहं की क्षुद्रता को पैरों तले रौंदते हुए जब हम अंतरात्मा के पक्ष में निर्णय लेते हैं तो हमारा आत्म -सम्मान उछलकर हमारे व्यक्तित्व को आत्म -गौरव की एक नई चमक देता है ,परंतु जब हम जीवन के भय -प्रलोभन ,वासना -स्वार्थ एवं अहं की क्षुद्रता के सामने घुटने टेक देते हैं तो तत्क्षण हमारे चेहरे पर आत्म ग्लानि की राख पुत जाती है और व्यक्तित्व की चमक क्षीण हो जाती है |
व्यक्ति की विश्वसनीयता एवं प्रमाणिकता उच्च आत्म सम्मान की द्दोतक है