12 April 2013

'निष्ठुरता से बढ़कर कुरूपता और कहीं कोई नहीं | सुन्दरता चेहरे की बनावट एवं साज -सज्जा पर टिकी हुई नहीं है | वह तो अच्छे स्वभाव और सद्व्यवहार से उभरती है |

                   'यदि अंत:करण मलिन और अपवित्र बना रहे तो परमात्मा की उपासना भी फलवती न होगी | अत:ईश्वर की उपासना निष्पाप ह्रदय से करें | '
प्रभु कृपा की एक ही शर्त है -पवित्रता | यदि हम परमपिता परमेश्वर से भी निष्पाप -पवित्र -उदार बनकर दिल से नहीं मिलते तो उनकी अमृत वर्षा हम पर क्यों होगी ?

REAL BEAUTY

भावनाओं का सौंदर्य अप्रतिम होता है ,सौंदर्य का तात्पर्य है -सुंदर होना एवं सुंदर दीखना | 
सुंदर दीखना बड़ा आसान है ,कृत्रिम बनाव श्रंगार ,आभूषण ,सौंदर्य -प्रसाधन सुंदर दीखने के लिये पर्याप्त हैं | 
सुंदर होना कठिन है ,सुंदर होना निर्भर करता है व्यक्तित्व के उन तमाम घटकों पर जो कि उसका निर्माण करते हैं जैसे -विचार ,भाव ,व्यवहार आदि | वैचारिक सौंदर्य ,चारित्रिक सौंदर्य ,भावनाओं का सौंदर्य ,सुंदर देह आदि | आंतरिक और बाह्य दोनों तत्व सुंदर हों ,ऐसा सौंदर्य का संतुलन ही वास्तविक सौंदर्य है | 
          
अपने समय की प्रख्यात लेखिका ,नारी स्वतंत्रता की हिमायती मेरी स्टो किशोर अवस्था में बहुत सुंदर लगती थीं | इसकी चर्चा और प्रशंसा भी बहुत होती थी | इस पर लड़की को गर्व होने लगा | बात पिता को मालुम हुई ,तो उन्होंने बेटी को बुलाकर प्यार से कहा -"बच्ची ,किशोरावस्था का सौंदर्य प्रकृति की देन है | इस अनुदान पर उसी की प्रशंसा होनी चाहिये | तुम्हे गर्व करना हो तो साठ (60 )वर्ष की उम्र में शीशा देखकर करना कि तुम उस प्रकृति की देन को लम्बे समय तक स्थायी रखकर अपनी समझदारी का परिचय दे सकीं या नहीं | "इस शिक्षा का ही परिणाम था कि अपने अहंकार को गलाकर मेरी स्टो एक समाजसेविका के रूप में विकसित हो सकीं |