11 April 2013

अनीति का उपार्जन ऐसा है मानो कच्चे घड़े में पानी भरना | वह घड़ी आने में देर नहीं लगती जब घड़ा फूटता है और पानी बिखरता है |

               
                'पाप पहले आकर्षक लगता है फिर आसान हो जाता है ,इसके बाद आनंद का आभास देने लगता है तथा अनिवार्य प्रतीत होता है | क्रमश:वह हठी और ढीठ बन जाता है | अंतत:सर्वनाश करके हटता है |  

DESIRE

नगर का नामी अमीर हजरत इब्राहीम के पास बेशुमार हीरे -जवाहरात और अशरफियों की थैलियाँ लेकर पहुंचा और उनको हजरत के पैरों में रखकर आशीर्वाद की याचना करने लगा | हजरत बोले -"ये सब हटा ले !मैं भिखारियों की लाई सौगात नहीं लेता | "अमीर चकित हुआ ,कहने लगा -"हुजूर !आपको शायद गलतफहमी हुई है ,मैं तो नगर का सबसे अमीर आदमी हूं | "हजरत बोले -"तू अमीर है तो किस आशीर्वाद की याचना करता है ?"सेठ बोला -"आपकी कृपा हो जाती तो मैं राज्य का सबसे अमीर व्यापारी बन जाता | "हजरत इब्राहीम मुस्कराए और बोले -"जब तेरी हसरतों का ठिकाना ही नहीं है तो अपने आप को भिखारियों की गिनती से क्यों जुदा करता है !"ऐसे ही अनेक मनुष्य ,अपना जीवन कामनाओं -वासनाओं की पूर्ति हेतु गुजारते हैं ,पर कामना यह करते हैं कि उनकी गिनती कुलीनों ,बड़ों की श्रेणी में की जाये | ऐसा आडम्बर सिर्फ आत्म पतन के मार्ग की ओर ले जाता है ,उन्नति की ओर नहीं |