13 March 2013

LABOUR----LAW OF SUCCESS

'धीरे धीरे चलती हुई चींटी भी हजार योजन तक चली जाती है और न चलता हुआ गरुड़ एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाता | '
मानव में छिपी अनंत सामर्थ्य तथा गौरव गरिमा के बहिरंग में प्रकटीकरण का एक ही उपाय है -अनवरत श्रम | ठाली न बैठे रह स्थूल शरीर का पूर्ण उपयोग कर ईश्वर के इस उद्द्यान को और भी सुंदर बनाना | श्रम एक प्रकार की साधना है जिसमे निराकार को साकार में परिणत किया जाता है और साकार को सुविकसित बनाया जाता है | श्रम से ही व्यक्ति का अहंकार गलता है तथा सेवा -साधना की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है | पदार्थ का छोटे से छोटा परमाणु भी बिना विश्राम किये अनवरत गति से सक्रिय है | पवन को एक क्षण के लिये भी चैन नहीं है ,वह सतत प्रवाहित होता रहता है | सूर्य और तारे सभी अपने -अपने नियत कर्मों में संलग्न है ,अवकाश लेने की नहीं सोचते | वस्तुत;पसीने से पवित्र और कुछ नहीं ,जिस ललाट पर वह झलकता है उसे समुन्नत बनाता चला जाता है | अनगढ़ पत्थरों को देव प्रतिमा के रूप में पूजनीय बनाने का श्रेय श्रम के देवता को ही दिया जा सकता है | जो भी कुछ इस संसार में शुभ है ,सुखद है ,श्रेष्ठ है उसे केवल श्रम साधना से ही पाया जा सकता है |