1 March 2013

जीवन की हर कसौटी पर खरे उतरने वाले सद्गुणी व्यक्ति ही अपनी अंतिम साँस तक आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं | क्षमताओं और संवेदनाओं के सम्मिलन की साधना व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है | जॉन कैनेडी ने एक प्रेस इंटरव्यू में अपने आकर्षक व्यक्तित्व एवं सफलताओं का रहस्य बताते हुए कहा था कि मेरी माँ सिद्धांतों एवं आदर्शों की द्रष्टि से अधिक कठोर और संवेदनाओं की द्रष्टि से मोम से भी अधिक मुलायम थीं | उनके अगाध स्नेह ने ही मुझे वर्तमान स्थिति तक पहुंचाया है |
'सच्चा सौंदर्य तो आत्मा का होता है '| सद्गुण ,श्रेष्ठ विचार और सद्व्यवहार से ही व्यक्तित्व आकर्षक बनता है |
शरीर और आत्मा में परस्पर संवाद चल रहा था | शरीर ने कहा -"मैं कितना सुंदर हूं ,आकर्षक व बलवान हूं | "आत्मा बोली -तुम अपनी अपेक्षा मुझे अधिक सुंदर ,आकर्षक और बलवान बना दो ,तुम्हारी ये विशेषताएँ मेरे सुंदर हुए बिना क्षणिक ही हैं | मुझे सुंदर बनाकर तुम भी शाश्वत सौंदर्य से युक्त हो जाओगे | किंतु शरीर को समझ में कुछ न आया | वह सांसारिक आकर्षणों में उलझा रहा ,जीवन समाप्त करता रहा | शरीर से आत्मा के विच्छेद का समय आ पहुंचा ,अब शरीर को ज्ञात हुआ कि यदि आत्मा को भी उसने सुंदर बनाया होता ,शक्ति दी होती तो उसका स्वरुप भी निखर गया होता -मरने के बाद भी उसे याद किया जाता | चलते समय आत्मा बोली -मैं तो जाती हूं | यदि तुम पहले से चेते होते .प्राप्त अधिकार का सदुपयोग कर अपने मन को ,आत्मा को सुंदर बनाते तो अमर हो जाते ,महामानव कहलाते | शरीर सिर धुनता रहा और विदा हो गई आत्मा नया शरीर पाने को |