26 February 2013

अपना दीपक आप बनो ,दूसरे दीपक के प्रकाश में चलने की कोशिश मत करो क्योंकि यह दूसरों का साथ अधिक समय तक न दे सकेंगे |
किसी चिड़िया ने चोंच में दबाकर पीपल का बीज नीम के तने में डाल दिया | थोड़ी मिट्टी ,थोड़ी नमी पाकर बीज उग आया और धीरे -धीरे नीम का आश्रय पाकर बढ़ने लगा | परावलंबी होने के कारण उसकी जड़ों को विकास के लिये न तो स्थान मिला और न ही डालें फैल सकीं | परिणाम स्वरूप वह थोड़ा ही बढकर रह गया | एक दिन उसे गुस्सा आया ,उसने नीम को डांट लगा दी -"दुष्ट !तू स्वयं तो आकाश छू रहा है और मुझे जरा भी बढ़ने नहीं देता है | देख मुझे भी बढ़ने दे ,नहीं तो तेरा नाश कर दूंगा "नीम हंसा और बोला -"मित्र !दूसरों की दया पर इतना ही विकास किया जा सकता है | इससे ज्यादा करना है तो अपनी नीव आप बनाओ ,अपने पैरों पर खड़े हो "| पीपल निरंतर नीम को कोसता रहा | एक दिन आंधी आई ,नीम का वृक्ष तो थोडा ही हिला था पर पीपल का पौधा धराशायी होकर मिट्टी चाटने लगा जो औरों के आश्रय में बढ़ने की आशा रखते हैं उनकी गति अंत में यही होती है |