18 February 2013

  • जीवन एक संग्राम है जिसमे सुख और दुःख समान रुप से आते हैं ।दुःख के बाद ही सुख की अनुभूति सुखद लगती है ।दुःख के बीच ही सुख है ।शहद मधुमक्खियों के छते से निकलता है ।उन मधुमक्खियों के जहरीले डंक होते हैं ।उनके बटोरे हुए मधु को वही मनुष्य प्राप्त कर सकता है जो उनके डंकों से नहीं घबराता ।गुलाब के पौधों में खुशबूदार फूलों के साथ कांटे भी लगे रहते हैं ।उन पुष्पों के सौरभ का आनंद वही मनुष्य लेता है ,जिसे काँटों की पीड़ा सहन करने का साहस हो ।सुंदर व्याघ्र चर्म पाने की इच्छा रखने वाले को व्याघ्र से युद्ध करना पड़ता है ,मोती ढूंढने वाले को समुद्र की तली तक दौड़ लगानी पड़ती है ।वास्तव में महानता दुर्गम संकटों का आवाहन करती है और उनका निराकरण करके ही अपने अस्तित्व को सार्थक सिद्ध करती है ।