2 February 2013

दूध ने पानी से कहा -"बंधु !किसी मित्र के अभाव में मुझे सूना -सूना अनुभव होता है ।आओ ,तुम्हीं को ह्रदय से लगाकर मित्र बनाऊं ।"पानी ने उत्तर दिया -"भाई !तुम्हारी बात तो मुझे बहुत अच्छी लगी ,पर यह विश्वास कैसे हो कि अग्नि परीक्षा के समय भी तुम मेरे साथ रहोगे ?दूध ने कहा -"विश्वास रखो ,ऐसा ही होगा ।"और दोनों में मित्रता हो गई ।ऐसी मित्रता कि दोनों के स्वरुप को अलग करना कठिन हो गया ।अग्नि नित्य परीक्षा लेकर पानी को जला देती है पर दूध है कि हर बार मित्र की रक्षा के लिए अपने अस्तित्व की भी चिंता न करते हुए जलने को प्रस्तुत हो जाता है ,यही है सच्ची मित्रता ।
नशा ,नाश की जड़ है ।पिता ने बहुत समझाया -"बेटा !शराब मनुष्य को बरबाद कर देती है "।पर बेटे ने एक न सुनी ,वह नियमित रूप से शराब पीता रहा ।एक दिन उसने अपने मित्र के साथ खूब शराब पी ।उसकी सारी विचार शक्ति नष्ट हो गई ।उसने मित्र से पूछा -क्यों जी !मेरी मृत्यु के बाद क्या होगा ?"होगा यह कि तुम्हारा शरीर कब्र में डाल दिया जायेगा "-साथी ने उत्तर दिया ।लड़का बोला -"अजी यह तो मुझे भी पता है ,तुम उसके बाद की बात बताओ "।मित्र ने कहा -फिर क्या होगा ,तुम्हे मिट्टी से ढक कर कब्र बना दी जाएगी ।"लड़का ठठाकर हँसा और कहने लगा -मूर्ख !इतना तो मुझे भी पता है ,तू यह बता उसके बाद क्या होगा ?मित्र ने हँसकर कहा -"बरसात होगी और पड़ोसी तुम्हें खूब रौंदेगा ।"लड़का चिल्लाया -"अच्छा तो पड़ोसी की यह हिम्मत !और लाठी लेकर दौड़ा ।पकड़ते -पकड़ते उसने पड़ोसी का सिर सीरा बना दिया ।वह तो पुलिस आ गई ,नहीं तो मारकर ही छोड़ता ।पुलिस उसे पकड़ कर ले गई और हवालात में बंद कर दिया ।सुबह उसने पिताजी को संदेश भेजा -"पिताजी !अब मैं समझ गया ,नशा सचमुच मनुष्य से वह सब करा सकता है ,जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती ।"