17 January 2013

यदि आप अपना उत्थान चाहते हो तो उसका प्रयत्न स्वयं करो ।दूसरा कोई भी आपकी दशा सुधार नहीं सकता ।यह लोक और परलोक किसी दूसरे की कृपा द्रष्टि से सफल नहीं हो सकता ।अपने पेट के पचाये बिना अन्न हजम नहीं हो सकता ,अपनी आँखों की सहायता के बिना दृश्य दिखाई नहीं पड़ सकते ,अपने मरे बिना स्वर्ग को देखा नहीं जा सकता ,इसी प्रकार अपने प्रयत्न बिना उन्नत अवस्था को भी प्राप्त नहीं किया जा सकता ।समर्थता को ओजस ,मनस्विता को तेजस ,और जीवट को वर्चस कहते हैं ।यही वे दिव्य सम्पदाएँ हैं जिनके बदले संसार के हाट -बाज़ार से कुछ भी ख़रीदा जा सकता है ।
अष्ट भुजा दुर्गा की आठ भुजाएं शक्ति के आठ साधन हैं -1.स्वास्थ्य ,2.विद्दा 3.धन 4.व्यवस्था 5.संगठन 6.यश 7.शौर्य 8.सत्य ।इन शक्तियों में से जिसके पास जितना भाग होगा वह उतना ही शक्तिवान समझा जायेगा ।प्रकृति का ,मनुष्यों का ,रोगों का ,शैतान का आक्रमण अपने ऊपर न हो इसको रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि हम अपने शारीरिक ,बौद्धिक ,आत्मिक बल को इतना बढ़ा लें कि उसे देखते ही आक्रमणकारी पश्त हो जाये ।सबलता एक मजबूत किला है जिसे देखकर शत्रुओं के मनसूबे धूल में मिल जाते हैं ।