15 December 2012

मनुष्य की एक मुट्ठी में स्वर्ग और दूसरी में नरक है ।वह अपने लिये इन दोनों में से किसी को भी खोल सकने में पूर्णतया स्वतंत्र है ।

POSSITIVE.........

परिष्कृत द्रष्टिकोण ही स्वर्ग है ।यदि सोचने का तरीका सकारात्मक होतो हर परिस्थिति में अनुकूलता सोची जा सकती है ।गुबरैला और भौंरा एक ही बगीचे में प्रवेश करते हैं और दो तरह के निष्कर्ष निकालते हैं _भौंरा फूलों पर मंडराता ,सुगंध का लाभ लेता और गुंजन गीत गाता है ।गुबरैला कीड़ा अपने स्वाभाव के अनुरूप गोबर की खाद के ढेर को तालाश लेता है और अपने दुर्भाग्य पर रोते हुए कहता है संसार में बदबू ही बदबू भरी पड़ी है ।